बारिश की भेंट चढ़ी सोयाबीन, दुःखी किसान ने जलाई फसल की होली

Gaurav Sharma
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देवास,सोमेश उपाध्याय। मध्यप्रदेश में पहले बारिश न होने फिर सोयाबीन फसल में पीला मोजक लगने और अब भारी बारिश होने से सोयाबीन की फसल पूरी तरह से बर्बाद होने की कगार पर है। सोयाबीन की फसल बर्बाद होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है और फसल के इस तरह से बर्बाद होने से किसान काफी दुखी हैं। फ़सल में फली नहीं लगने से दुःखी किसान रूप सिंह जायसवाल ने कुपगाव स्थित 12 बीघा खेत में लगीं सोयाबीन की फसल की होली जला दी।

बारिश की भेंट चढ़ी सोयाबीन, दुःखी किसान ने जलाई फसल की होली

किसान का कहना है कि इस साल उन्होंने महंगा बीज लाकर बोवनी की थी। सीजन में प्रारंभ से ही संकट छाया रहा। बारिश की खेंच के कारण फसलें प्रभावित रहीं, अब सभी क्षेत्रों में कुछ बारिश हुई तो बीमारियों ने फसलों को घेर लिया। बीमारी के कारण फसलें पीली हो गई हैं और सूखने भी लगी हैं। किसानों का कहना है कि जल्द मुआवजा मिलना चाहिए ताकि आगामी सीजन में किसानों को परेशानी न हो। बता दें कि सोयाबीन की फसल बर्बाद होने के भारतीय किसान संघ ने ज्ञापन दे कर मुआवजे की भी मांग की है।

 

वहीं देवास के भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष गोवर्धनलाल पाटीदार का कहना है कि अतिवृष्टि होने से किसानों की फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी है। सोयाबीन में फली ही नहीं है, जिससे पूरे क्षेत्र के किसान परेशान हैं। हमने शाशन से मुवावजे की मांग करी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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