देवास/बागली, सोमेश उपाध्याय। देवास जिले के बागली अनुभाग के किसानों ने इन दिनों सरकार,संगठन और प्रशासन इन तीनो की चिंता बड़ा दी है।भारतीय किसान संघ के तत्वाधान में इंदौर-बैतूल हाइवे पर किसानों का हुजूम अपनी जायज मांगो के साथ धरना दे रहा है।सोमवार से आरम्भ हुए धरने की शुरुआत हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ के साथ हुई।
भारतीय किसान संघ द्वारा बागली व हाटपीपल्या विधानसभा को नर्मदा का पानी मिले इसके लिए लगातार मांग कि जा रही है।परन्तु किसानों को आज तक पूरी तरह सफलता नही मिल पाई है।सूबे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों को हर सूरत में पानी देने के लिए आश्वस्त कर चुके थे। यहां तक कि लोकसभा व विधानसभा के उपचुनावों में प्रमुख मुद्दा भी नर्मदा का पानी ही था।
दिवगंत सांसद नन्दकुमार सिंह चौहान तो सन 2018 से ही लगातार यह माँग उठाते आए हैं।सीएम की घोषणा के 8 माह बाद भी योजना में छुटे हुए गाँवो को जोड़ने की प्रशासनिक स्वीकृति नही मिलने से नाराज किसान सड़क पर उतर गए है।
धरना आंदोलन में क्षेत्रीय किसानों के साथ ही बड़ी संख्या में आम नागरिक भी किसानों के समर्थन में उतरते दिख रहे है।वरिस्ठ अभिभाषक प्रवीण चौधरी ने भी धरना स्थल पहुँच कर किसानों के लिए अपना समर्थन दिया है।
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वही बड़े आंदोलन के बावजूद किसानों का अनुशासन देखते ही बन रहा है।कोविड19 प्रोटोकॉल के तहत पर्याप्त दूरी व मास्क का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।कोरोना के प्रति सतर्कता के लिए किसानों को धरना स्थल से ही जागरूक किया जा रहा है,वही भगवान बलराम की प्रतिमा को भी मास्क पहनाया गया है।
किसान संघ जिला अध्यक्ष गोवर्धन पाटीदार ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से चर्चा करते हुए बताया कि नर्मदा लिंक योजना के नाम से हमारे जंगल काटे गए,नर्मदा सबसे नजदीक हमारे क्षेत्र से है उसके हमारे ही किसान प्यासे है,यह क्षेत्रीय किसानों के साथ अन्याय है।
जब तक किसानों के साथ न्याय नही होता किसानों का धरना जारी रहेगा। वही किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामप्रसाद सूर्या , प्रांतीय उपाध्यक्ष डुंगरसिंह सिसोदिया आगर ,प्रांत महामंत्री नारायण यादव , जिला अध्यक्ष गोवर्धन पाटीदार, तहसील अध्यक्ष हुकमचन्द्र पटेल, चंपालाल मुकाती शांतिलाल सोलिया ने भी किसानों को सम्बोधित किया। बरहाल खँडवा लोकसभा में उपचुनाव प्रस्तावित है।ऐसे मे किसानों की नाराजगी सत्ताधारी दल के लिए क्या मुशीबत खड़ी करेंगी यह तो वक्त बताएगा परन्तु वर्तमान में किसानों ने सरकार को सीधे तौर पर अल्टीमेट दे रखा है।