धार।राजेश डाबी।
बीते दिनों धार जिले में मां-बाप के पास सो रहे सात साल के मासूम को उठाकर ले जाने और फिर उसका शिकार करने वाले आदमखोर तेदुंए को बुधवार तड़के रेस्क्यू टीम ने पिंजरे में कैदकर लिया । इंदौर से पहुंची रेस्क्यू टीम ने घटनास्थल समेत 2 स्थानों पर पिंजरे लगाए थे, इनमें बकरियों को बांध दिया था। हाथी पावा क्षेत्र में तड़के करीब 4 बजे बकरी का शिकार करने आया तेंदुआ कैद हो गया।
पूरी जानकारी के अनुसार, अमझेरा के समीप मनावर मार्ग से लगने वाले जंगली क्षेत्र में रात्रि को तेंदुए ने खेत पर सो रहे परिवार के एक 7 वर्षीय बालक को अपना शिकार बनाया था, जिसमे आनन्द नामक बालक की मौत हो गई थी। ग्राम पिपलिया के रहने वाले मजराओ खराड़ी अपनी पत्नी एवं चार बच्चों के साथ खेत पर फसल की रखवाली हेतु सो रहे थे। इसी दौरान करीब 10 बजे रात्रि को एक तेंदुआ आनंद नाम के 7 वर्षीय बालक को उठाकर 200 फीट दूर पहाड़ी के नीचे खोदरे में ले गया और उसे अपना शिकार बना लिया।
इस दौरान बालक की चीखने चिल्लाने की आवाज सुन उसका पिता बचाने के लिए दौड़ा , लेकिन उसे बचा नहीं पाया , बाद में ग्रामीणों को इकट्ठा किया गया एवं घटनास्थल पहुंचे व जैसे तैसे तेंदुए को भगाया और मृत हो चुके अपने बच्चे का शव कब्जे में लेकर घर लाए , वहीं घटना की सूचना रात में ही वन विभाग को दे दी गई थी , वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा एवं बालक के शव को निरीक्षण कर उसे अमझेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था ।
वही अमझेरा क्षेत्र के वन विभाग अधिकारी ने मामले में जांच की एवम पाया कि किसी जंगली तेंदुए ने बच्चे को अपना शिकार बनाया साथ ही उसी दिन से तेंदुए के पैरो के निशान के अनुसार तेंदुए को तलाश तेज कर दी। घटना के बाद वन विभाग की टीम ने आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किये और अभियान चलाते हुए इंदौर के रालामण्डल क्षेत्र से सपेशल रेस्क्यू दल बुलवाकर घटनास्थल सहित एक अन्य जगह पर पिंजरे लगाये । और साथ ही स्थानीय लोगों ने वन विभाग की टीम के साथ जंगल में घूम घूम कर तेंदुए की तलाश की लगातार चार दिनों बाद आज सुबह करीब 4 बजे उक्त तेंदुआ पिजरे में घुसा । और तेंदुआ पिंजरे की गिरफ्त में आ गया। वन विभाग द्वारा उक्त तेंदुए को पकड़ने में मिली सफलता की जानकारी के बाद बड़ी संख्या में लोग वहां पहुच गये थे।
वन विभाग के अनुसार पकड़ाया तेंदुआ मादा बताया जा रहा है तथा इसकी उम्र लगभग 8 वर्ष बताई जा रही है वहीं तेंदुए को सुरक्षित स्थान पर छोड़े जाने को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों वन विभाग के मार्गदर्शन में निर्णय किया जावेगा।