भोपाल गैस त्रासदी के बाद बंद हुई यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर पिछले दिनों प्रदेश में जमकर सियासत हुई , यूनियन कार्बाइड के कचरे को पीथमपुर में जलाने का जमकर विरोध हुआ लेकिन फिर कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पीथमपुर में ही कचरे को जलाया गया।
अब यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के बाद उसकी जहरीली राख को लेकर चिंताएं शुरू हो गई है, कचरे को जलाने का विरोध कर रही पीथमपुर बचाओ समिति ने अब कचरे से बनी जहरीली राख के निष्पादन को लेकर चिंता जताई है, समिति ने हाई कोर्ट में कचरे के निष्पादन को लेकर याचिका लगाई जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
पीथमपुर बचाओ समिति के सदस्य हेमंत हीरोले ने जानकारी देते हुए बताया कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले 358 टन जहरीले कचरे को जनवरी 2025 में कोर्ट के निर्देश पर धार के पीथमपुर TSDF प्लांट में भेजा गया था, जहाँ इसे जलाकर 899 टन राख बनाई गई। अब इस राख के निष्पादन को लेकर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं।
899 टन राख के लिए हाई कोर्ट के निर्देश
समिति के मुताबिक कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि 899 टन राख को ऐसे स्थान पर ले जाया जाए जहाँ न तो मानव बस्ती हो, न पेड़-पौधे और न ही जलस्रोत। कोर्ट ने सरकार के अब तक उठाए कदमों को अपर्याप्त बताया और वैकल्पिक स्थल की रिपोर्ट माँगी है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी जवाब तलब किया है।
सरकार द्वारा प्रस्तुत एनिमेटेड वीडियो से संतुष्ट नहीं हुआ हाई कोर्ट
कोर्ट ने चेतावनी दी कि प्राकृतिक आपदा में राख रखने का ढांचा टूटने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। याचिका में राख में पारे की मात्रा तय सीमा से अधिक होने की बात भी सामने आई है। हाई कोर्ट सरकार के प्रस्तुत एनिमेटेड वीडियो से संतुष्ट नहीं हुआ। इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी। पीथमपुर बचाव समिति ने कोर्ट के फैसले को जनता की जीत बताया है।




धार से मो. अन्सार की रिपोर्ट





