विरोध के मूड में कर्मचारी, उपचुनाव के बाद बढ़ा सकते है सरकार की मुश्किल

Brahmin Samaj Madhya Pradesh

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उपचुनाव (By election) को लेकर सियासी घमासान जारी है। वहीं उपचुनाव के बाद भी सरकार की मुसीबत कम नहीं होने वाली है। उपचुनाव बाद अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी संगठन (Employee organization) सरकार के खिलाफ लामबंद होने और विरोध- प्रदर्शन का मूड बना रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों के साथ चुनावी संग्राम के बाद सरकार को कर्मचारी संगठनों का सामना करना पड़ सकता है।

दरअसल लंबे समय से प्रदेश के संविदाकर्मी (Contract workers), लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (Fourth class employee) अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार से मांग कर रहे हैं। लेकिन किसी तरह की सुनवाई होती न देख अब कर्मचारियों का सब्र खत्म हो रहा है। ऐसे में अब वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता और एरियर की राशि की मांग को लेकर कर्मचारी विधानसभा उपचुनाव के बाद विरोध प्रदर्शन कर सरकार की मुश्किल बढ़ा सकते हैं। सरकार के निर्णय लेने में हो रही देरी से नाराज कर्मचारी संगठनों का मानना है कि जीवनभर नौकरी करने के बाद बुढ़ापे में पेंशन नहीं देना मानवीय हितों के खिलाफ है। हर मौकों पर कर्मचारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते है। ऐसे में उनके हितों के बारे में चिंता जरूरी है। यदि सरकार उन्हें उनका हक नहीं देती तो विरोध प्रदर्शन ही एक मात्र तरीका है अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का।


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Neha Pandey