मंत्री गोपाल भार्गव के बंगले के बाहर था अतिक्रमण, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर, कांग्रेस ने कसा तंज

Gaurav Sharma
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भोपाल/दमोह, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में लगातार अतिक्रमण के खिलाफ (Against encroachment) कार्रवाई जोरों शोरों से चल रही हैं। इसी कड़ी में दमोह जिले में भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई (Encroachment action) को अंजाम दिया जा रहा है। अतिक्रमण के खिलाफ चल रही कार्रवाई में प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव (Public Works Department Minister Gopal Bhargava) को भी नहीं बख्शा गया। कार्रवाई के दौरान उनके गढ़ाकोटा (Garhakota) स्थित बंगले के बाहर से अतिक्रमण को बुलडोजर (Bulldozer) की मदद से प्रशासन द्वारा हटाया गया।

गोपाल भार्गव के बंगले के बाहर प्रशासन को दिखा अतिक्रमण

दमोह कलेक्टर (damoh Collector) के आदेश के अनुसार पुलिस और प्रशासन मंगलवार सुबह से ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रही थी। इसी दौरान जब वह मंत्री गोपाल भार्गव के दमोह रोड पर बने बंगले के पास पहुंची, तो उन्हें बंगले के बाहर अतिक्रमण दिखा, जिस पर कार्रवाई करते हुए जेसीबी चला दिया गया। दरअसल गोपाल भार्गव के घर के बाहर क्यारी बनाई गई थी जिसमें पौधे लगे हुए थे जो कि अतिक्रमण के दायरे में आ रही थी, जिसको हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा की गई।

मंत्री गोपाल भार्गव के बंगले के बाहर था अतिक्रमण, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर, कांग्रेस ने कसा तंज

अतिक्रमणकारियों ने नहीं हटाया अतिक्रमण

वही इस पूरी कार्रवाई को लेकर गढ़ाकोटा नगरपालिका के प्रभारी मनीष कहते हैं कि अतिक्रमण हटाने की जानकारी पहले ही प्रशासन द्वारा दे दी गई थी। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इसे नहीं हटाया। जिसके बाद पुलिस और प्रशासन ने टीम बनाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरु की। मंत्री के बंगले के बाहर अतिक्रमण था इसलिए उसे भी हटा दिया गया।

कांग्रेस ने ली चुटकी

वही पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव (PWD Minister Gopal Bhargava) के घर के बाहर हटाए गए अतिक्रमण को लेकर कांग्रेस ने चुटकी ली है। कांग्रेस (congress) के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट कर लिखा कि प्रदेश के पीडबल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के गढ़ाकोटा स्थित निजी बंगले के बाहर पौधों व फूलो की सुरक्षा के लिये लगायी गयी अस्थायी जालियों को जेसीबी चलाकर हटाने की कार्रवाई के पीछे भाजपा का आंतरिक संघर्ष , गुटबाज़ी। कार्रवाई का तरीक़ा बेहद ग़लत , यह मंत्री की छवि बिगाड़ने वाला।

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1346674192171765762

बिकाऊ लोगों का सम्मान- नरेंद्र सलूजा

नरेंद्र सलूजा आगे ट्वीट कर लिखते है कि भाजपा सरकार में एक तरफ़ आयातित , बिकाऊ लोगों का हो रहा सम्मान और वही दूसरी तरफ़ निष्ठावान , टिकाऊ लोगों का किया जा रहा अपमान…? मुख्यमंत्री संज्ञान ले और दोषी अधिकारियों पर हो कार्यवाही… दो मंत्रियो के इस आंतरिक संघर्ष को रोके मुख्यमंत्री , कोलार डेम की सीख का कोई असर नहीं ?

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1346674193912324097

 

यही है बिकाऊ-टिकाऊ में अंतर ?- नरेंद्र सूलजा

नरेंद्र सलूजा शिवराज सरकार पर तंज कसते हुए आगे लिखते है कि कांग्रेस अतिक्रमण की पक्षधर नहीं,हमारा विरोध तरीक़े से है,वरिष्ठ मंत्री भार्गव को अतिक्रमणकारी बताने से है। कांग्रेस चुनौती देती है कि भाजपा सरकार क्या ऐसा ही साहस सागर के ही आयातित मंत्री गोविन्द राजपूत के बंगले पर भी अतिक्रमण हटाने का दिखायेगी ? यही है बिकाऊ-टिकाऊ में अंतर ?

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1346748096831582209

लगातार जारी रहेगी अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई- सीएम

गौरतलब है कि प्रदेश में लगातार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा की जा रही है। अतिक्रमण और अवैध कब्जों को हटाने के निर्देश सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिए है। प्रदेश में अब तक राजधानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के साथ ही सभी बड़े शहरों में माफियों के अवैध निर्माणों को जमीदोज किया गया है। वहीं कैबिनेट बैठक (cabinet Meeting) में सीएम शिवराज (CM Shivraj Singh Chouhan) द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को जारी रखने की बात कही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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