नीमच में 16 साल पहले हुए एक फर्जी एनकाउंटर की गुत्थी अब सुलझती नजर आ रही है। CBI ने इस सनसनीखेज मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए DSP ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया है। दोनों ने 2009 में कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर को मुठभेड़ में ढेर करने की कहानी गढ़ी थी, लेकिन सच तब सामने आया जब 2012 में उज्जैन पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ लिया। हाईकोर्ट के आदेश पर CBI ने जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि पुलिस ने झूठी कहानी रची थी।
मंगलवार को तीन घंटे की पूछताछ के बाद दोनों को हिरासत में लिया गया। उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं, और अब इस मामले में अन्य पुलिसकर्मियों पर भी शिकंजा कस सकता है।

CBI की जांच में खुला फर्जी एनकाउंटर का राज
हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद CBI ने इस मामले की गहराई से पड़ताल शुरू की। जांच में सामने आया कि 7 फरवरी 2009 को नीमच पुलिस ने बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मारने का दावा किया था, लेकिन यह पूरी तरह झूठ था। 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन के दानीगेट इलाके से बंशी जिंदा पकड़ा गया। CBI ने पाया कि इस फर्जी मुठभेड़ में DSP ग्लैडविन और सिपाही नीरज अहम किरदार थे। दोनों को बयान के लिए बुलाया गया, लेकिन पूछताछ में उनके जवाब संतोषजनक नहीं मिले। अब CBI इस केस में शामिल अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है, जिसमें एक ASP को भी नोटिस भेजा गया है।
मरा समझा गया तस्कर जो जिंदा निकला
बंशी गुर्जर नीमच के मनासा तहसील का कुख्यात तस्कर है, जिसकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। 4 फरवरी 2009 को उसने राजस्थान पुलिस पर हमला कर अपने साथी को छुड़ाया था। इसके ठीक तीन दिन बाद नीमच पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मारने का दावा किया। लेकिन 2012 में उज्जैन पुलिस ने उसे जिंदा पकड़कर सबको हैरान कर दिया। बंशी के साथी घनश्याम धाकड़ ने खुलासा किया कि वह फरारी के दौरान जिंदा था। इस सनसनीखेज सच के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई, जिसके बाद CBI ने जांच शुरू की। अब 16 साल बाद इस फर्जी एनकाउंटर का सच सामने आने से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।