पूर्व केंद्रीय मंत्री को निरस्त करना पड़ा गांवों का दौरा, ये है कारण

Atul Saxena
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बागली(देवास), सोमेश उपाध्याय। खण्डवा लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव की दृष्टि से अब जनप्रतिनिधियों के दौरे शुरू हो गए है। सम्भावित प्रत्याशियों ने भी गांव – गांव जा कर शोक संतप्त परिवारों के यहाँ में पहुंच कर संवेदना व्यक्त करना शुरू कर दिया है। परन्तु पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण यादव (Arun Yadav) को अपने एक दिवसीय बागली दौरे के दौरान दो गांवो का दौरा एनवक्त पर निरस्त करना पड़ा।

दरअसल नर्मदा-सिंचाई योजना से वंचित किसानों ने ”नर्मदा नहीं तो वोट नहीं” के नारों के साथ अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों का प्रवेश निषेध कर रखा है। ग्रामीणों ने बाकायदा मशाल रैली निकाल कर गांव के बाहर बोर्ड लगा कर अपनी मांग पूरी न होने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों का प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) इन्ही गांव नयापुरा व छतरपुरा जाने वाले थे,परन्तु ग्रामीणों की नाराजगी की ख़बर सुन उन्हें अपना दौरा निरस्त करना बड़ा और वे बागली से ही लौट गए।

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इस मामले पर जब पत्रकारों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav)से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि किसानों की मांग जायज है। कांग्रेस की सरकार रहते उन्होंने डीपीआर में संशोधन करवाया था परन्तु बीच में ही सरकार गिर जाने के कारण काम नहीं हो पाया।  उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी का मंत्री, विधायक व सांसद होने के बावजूद किसानों को नर्मदा के पानी से वंचित रहना पड़ा ये क्षेत्र का दुर्भाग्य है। यादव ने कहा कि गांव किसानों का है वे किसे आने देना चाहते हैं और किसे नहीं ये उनकी मर्जी है लेकिन बागली को पानी मिलना चाहिए और किसानों के इस संघर्ष में वे हमेशा उनके साथ है।

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गौरतलब है कि हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना में बागली क्षेत्र के गांवों को छोड़ दिया गया था, तभी से किसानों का क्रमबद्ध आंदोलन जारी है। अभी करीब 6 गांवों में मतदान के बहिष्कार व राजनेताओं के प्रवेश निषेध का अभियान जारी है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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