Gwalior News : शिकार के लिए ट्रेप में फंसाये तेंदुए का रेस्क्यू, पैर में सूजन व चोट

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। प्रतिबंध और निगरानी के बावजूद वन्य प्राणियों का शिकार (wild animal hunting) करने वाले शिकारी चोरी छिपे शिकार करने से बाज नहीं आ रहे। शनिवार को ग्वालियर में एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें शिकारी ने तेंदुए (leopard) को अपने जाल में फंसा लिया लेकिन वन विभाग की इसकी भनक लग गई और फिर चिड़ियाघर की टीम ने तेंदुए को रेस्क्यू कर लिया। तेंदुए के पैर में  सूजन और चोट है। डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं।

Gwalior News : शिकार के लिए ट्रेप में फंसाये तेंदुए का रेस्क्यू, पैर में सूजन व चोट

ग्वालियर वन मंडल (Gwalior Forest Division) में इन दिनों वन विभाग के अधिकारी वन्य प्राणियों की गणना (wild animal counting) कर रहे हैं इसके लिए वे जंगलों में सर्चिंग कर रहे हैं और पग मार्क के आधार पर वन्य प्राणियों की मौजूदगी का अंदाजा लगा रहे हैं। सर्चिंग के दौरान वन  विभाग के अधिकारियों को सांतऊ (शीतला माता मंदिर क्षेत्र) में एक तेंदुए की मौजूदगी का अहसास हुआ।

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वन विभाग के अधिकारी जब उसे ढूंढते हुए उसके पास पहुंचे तो वो लोहे के एक सटके (ट्रेप) में फंसा हुआ था।  वन विभाग के अधिकारियों ने तत्काल ग्वालियर चिड़ियाघर (गांधी प्राणी उद्यान) प्रबंधन को इसकी सूचना दी।  चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉ उपेंद्र यादव के नेतृत्व में प्रशिक्षित टीम सांतऊ के जंगल गई और तेंदुए को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेस्क्यू कर लिया

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रेंजर एच डी शर्मा ने बताया कि सर्चिंग में स्टाफ और चौकीदार को ग्रामीणों ने तेंदुए होने की सूचना दी थी, जिसे रेस्क्यू कर लिया गया है।  उन्होंने बताया कि इस जंगल में पहले भी तेंदुए  देखे गए हैं, लेकिन हम सूचना उजागर नहीं  करते क्योंकि फिर शिकारी उसके पीछे पड़ जाते हैं।

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वही चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉ उपेंद्र यादव ने बताया कि रेस्क्यू किया गया तेंदुआ मादा है अभी ये किशोरावस्था (Sub Adult) है।  लोहे के सटके के कारण इसके पैर में सूजन है अउ चोट के निशान हैं।  इसका इलाज शुरू कर दिया गया है। ठीक होने के बाद इसे जंगल में छोड़ दिया जायेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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