कोट पेंट पहने सजे धजे बाराती बैलगाड़ी पर सवार होकर निकले, जिसने देखा थम गया, सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा

Atul Saxena
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Barat on Bullock Cart, Gwalior News :  आधुनिकता और दिखावे के इस दौर में आपने हेलिकॉप्टर पर, क्रूज पर शादियां देखीं होंगी, सजे धजे लोग महंगी महंगी कारों में, लक्जरी बग्गियों में बाराती बनकर जाते देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बारात दिखा रहे हैं जो इन सबसे अलग है। जी हाँ इस बारात के चर्चे सोशल मीडिया पर भी हो रहे हैं …ये बारात निकली मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में …

संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर की सड़कों पर कभी राजा महाराजाओं की बग्गी, घोड़ा गाडी दौड़ा करती थी, तांगे यहाँ की शान हुआ करते थे, शादियों में दूल्हा बैलगाड़ी या तांगे में जाता था और दुल्हन डोली में विदा होकर आती थी,  लेकिन अब ये सब पुरानी बातें हो चुकी हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि यहाँ इन बातों का जिक्र क्यों हो रहा है? तो हम बताते हैं कि कल मंगलवार की रात ऐसा कुछ हुआ जिसकी चर्चा पूरे शहर से लेकर सोशल मीडिया पर हो रही है।

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ग्वालियर में निकली एक अनोखी बारात

दरअसल, शहर की सड़कों पर एक अनोखी बारात निकली, अनोखी इसलिए क्योंकि ये बारात बैलगाड़ी पर निकली। एक पोते ने अपने दादाजी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए परिजनों के साथ मिलकर खास इंतजाम किया। कोट पेंट पहने सजे धजे बाराती रंगीन कपड़ों से सजी बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हन को लेने निकले। आधुनिकता के इस दौर में जब ये बारात इस अलग और पुराने अंदाज में निकली तो लोग ठिठक गए, शहरवासी रुक कर बारात देखने खड़े हो गए, उनके लिए आश्चर्यजनक था।

बैलगाड़ी पर सवार होकर निकले बाराती 

आपको बता दें कि बारात ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र में रहने वाले लोधे परिवार की थी जो दुल्हन को लेने किला गेट जा रही थी, बाराती 9 बैलगाड़ियों पर सवार होकर निकले। दूल्हे दिनेश लोधे के भाई अमन लोधे ने बताया कि ऐसा उन्होंने अपने परिवार के एक दादाजी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए किया, उनकी इच्छा की थी कि मेरे घर के एक बच्चे की बारात वैसी ही निकले जैसी उनकी निकली थी ।

दादाजी की ख्वाहिश पूरी करने किया ये खास इंतजाम 

परिवार के लोगों ने बुजुर्ग का सम्मान रखने के लिए ये फैसला लिया और बड़ों ने अपने दोस्तों के गाँव से बैलगाड़ियों का इंतजाम किया और निकल पड़े बारात लेकर। खास बात ये थी कि करीब 7-8 किलोमीटर दूर रवाना होने के लिए निकले बारातियों ने ट्रेफिक का भी ध्यान रखा, कुछ समझदार युवक सड़क पर पैदल चल रहे रहे थे जिससे किसी को कोई परेशानी ना हो।

बहरहाल, इस बारात को जिसने भी देखा रुक गया और जिसने भी इसके पीछे की वजह को जाना वो भावुक हो गया। सच तो है दिखावे के इस दौर में शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची में संस्कार और परम्पराएँ कहीं गुम होती जा रही हैं ऐसे में एक पोते द्वारा उनके स्वर्गीय दादाजी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए ये न सोचते हुए कि लोग क्या कहेंगे, बैलगाड़ी पर बारात निकालना ये दर्शाता है कि असली भारत वाकई हमारे गाँव में ही बसता है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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