गुस्से में जयभान सिंह पवैया, बोले – “पठान” में दीपिका को सजाना ही था तो हरे रंग की चिंदियों से सजा देते

Pathan Movie Controversy : फिल्म पठान के गाने “बेशर्म रंग” के रिलीज होने के बाद से हिन्दुओं में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है, गाने में दीपिका पादुकोण को भगवा रंग की बिकनीनुमा भद्दी ड्रेस पहने दिखाए जाने और रंग को बेशर्म कहे जाने से हिन्दू समाज इसे भगवा और उनकी आस्था का अपमान बता रहा है और विरोध जता रहा है।

गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा दे चुके चेतावनी

पठान फिल्म का गाना बेशर्म रंग रिलीज होने के बाद से ही ये विवादों में है, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने पिछले दिनों मेकर्स को चेतावनी दी है कि गाने से आपत्तिजनक शॉट्स हटा दें नहीं तो फिल्म को मध्य प्रदेश में चलने या नहीं चलने पर फैसला लिया जायेगा, यानि उसे बैन किया जायेगा।

हिन्दू संगठन के साथ मुस्लिम संगठन भी कर रहे विरोध

हिंदूवादी संगठनों के अलावा मुस्लिम संगठन भी इसे इस्लाम की तौहीन कह रहे हैं, हिंदूवादी संगठन फिल्म के विरोध में पुतला दहन कर रहे हैं और इसे बैन करने की मांग कर रहे हैं। भाजपा सहित कांग्रेस के भी कई नेता गाने में दीपिका की ड्रेस को आपत्तिजनक बता रहे हैं।

जयभान सिंह पवैया ने जताई कड़ी आपत्ति

प्रखर हिंदूवादी नेता, बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री वरिष्ठ भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया ने कहा कि “पठान” फिल्म के बारे में मुझे भी पता चला है, ताज्जुब होता है जिस फिल्म का हीरो शाहरुख़ खान हो, फिल्म का नाम  पठान हो उसमें दीपिका? यदि पठान में दीपिका पादुकोण को सजाना ही था तो हरे रंग की चिंदियों से सजा देते।

हिन्दू आस्था पर बार बार चोट से गुस्से में हैं पवैया

पवैया ने कहा कि देखिये आजादी के बाद से देश में बहुत हो चुका, लगातार हिन्दू आस्था को तार तार करने और देश को स्वाभिमान शून्य करने की कोशिश की जाती रही है। अभिव्यक्ति के नाम पर ये उसी का हिस्सा है। इसलिए मैं गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के बयान का स्वागत करता हूँ।

हिन्दू दर्शकों को दी ये बड़ी सलाह

पवैया ने संतों के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि संतों ने फिल्म पठान के बहिष्कार की अपील की है मैं ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ और हिन्दू समाज से आह्वान करता हूँ कि इन हरकतों का सच्चा जवाब बहिष्कार के अलावा कुछ नहीं है। ये हिन्दुओं के ख़रीदे हुए टिकटों से मुंबई के शहंशाह बनने वाले लोग जब तक चौपाटी पर कटोरा लेकर भीख नहीं मांगने लगे तब तक चैन की साँस नहीं बैठना चाहिए,  ऐसी फिल्मों को दर्शकों को ख़ारिज करना चाहिए।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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