बाल संप्रेक्षण गृह से फरार बाल अपचारी अभी भी बेसुराग, दो अन्य नाबालिग अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार

पूर्व डीजीपी सुरेंद्र यादव की नातिन अक्षया यादव हत्याकांड में शामिल तीन नाबालिग गुरुवार को बाल संप्रेक्षण गृह से तीन अन्य नाबालिगों के साथ गार्ड को धक्का देकर फरार हो गए जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। 

Gwalior News

Gwalior News : मध्यप्रदेश में अपराधों के तेजी से बढ़ते ग्राफ पर ब्रेक लगाने में पुलिस नाकामयाब हो रही है, अपराधी बेख़ौफ़ अपराध कर या तो घटना कर भाग जाते हैं या फिर जेल से भाग जाते है, अब इसमें बाल अपराधियों के नाम भी जुड़ गए हैं, दो दिन पहले गुरुवार को ग्वालियर बाल संप्रेक्षण गृह से 6 बाल अपचारी फरार हो गए जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है वहीँ दो अन्य नाबालिग अवैध हथियारों के साथ पुलिस ने सड़क पर घूमते हुए गिरफ्तार किये हैं।

बाल संप्रेक्षण गृह से फरार आरोपी अभी भी बेसुराग 

ग्वालियर में नाबालिग अपराध की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं, बीते साल 10 जुलाई को बीच चौराहे पर पूर्व डीजीपी सुरेंद्र यादव की नातिन अक्षया यादव हत्या कर दी गई थी, इस हत्याकांड में तीन नाबालिग भी शामिल थे जिन्हें पुलिस ने बाल संप्रेक्षण गृह में बंद कर दिया था गुरुवार को ये तीनों नाबालिग अन्य तीन नाबालिगों के साथ गार्ड को धक्का देकर फरार हो गए जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है, पुलिस इनकी तलाश जरुर कर रही है लेकिन दो दिन बाद ये अभी भी फरार हैं।

अवैध हथियारों के साथ दो नाबालिग गिरफ्तार

उधर डबरा सिटी थाना पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर दो अलग अलग स्थानों से दो नाबालिगों को अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया है, बताया जा रहा है कि दोनों नाबालिग अवैध हथियारों की मदद से कोई अपराध करने के इरादे से घूम रहे थे,  इनके कब्जे से 315 बोर के अवैध अवैध कट्टे मिले जिन्हें पुलिस ने जब्त कर आरोपियों को जेल भेज दिया।

बहरहाल डबरा पुलिस ने दोनों नाबालिगों को गिरफ्तार कर लिया है और उम्मीद है कि ग्वालियर पुलिस जल्दी ही बाल संप्रेक्षण गृह से फरार बाल अपचारियों को भी गिरफ्तार कर लेगी लेकिन ये घटनाक्रम बहुत चिंताजनक है, नाबालिगों के इस तरह से अपराध की दुनिया में जाना कोई शुभ संकेत नहीं है, सरकार को भी इस पर गंभीरता से सोचने की जरुरत है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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