Dabra News : केंद्र सरकार की योजना है कि प्रत्येक ग्राम में मुक्तिधाम बनें और उन तक पहुंचने के रास्ते भी सुलभ हों, लेकिन प्रदेश के कई गांवों में मुक्तिधाम और उन तक पहुंचने वाले रास्तों की हालत दयनीय स्थिति में है। कई श्मशान घाटों पर टीनशेड गायब हो चुके हैं। रास्तों की हालत तो ऐसी है कि अर्थी से शव के गिरने की आशंका बनी रहती है। ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश की ग्वालियर जिले का है जहाँ डबरा विकासखंड की सकतपुरा पंचायत में बना मुक्तिधाम कई वर्षों से व्यवस्थाओं के अभाव में जर्जर हालात में पड़ा हुआ है। जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
बता दें कि सकतपुरा पंचायत में बने मुक्तिधाम पर चबूतरा और बाउंड्री जर्जर हालात में है तो वहीं मुक्तिधाम के उपर लगी टीनशेड भी पूरी तरह से उखड़ गई है और लोगों के बैठने तक की जगह मुक्तिधाम के अंदर नहीं हैं ऐसे में अगर ग्रामीणों को किसी का अंतिम संस्कार करना हो और ऐसे में बारिश हो जाए तो कितनी मुश्किलों के बीच ग्रामीण मृतक का अंतिम संस्कार करते होंगे। इसका अंदाजा तस्वीरों से लगाया जा सकता, लेकिन पंचायत के सरपंच और सचिव का इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं हैं। इधर ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच स्थानीय है लेकिन सचिव पंचायत में नजर ही नहीं आते, इनकी नौकरी तो भगवान भरोसे ही चल रही है।
अव्यवस्थाओं से परेशानी
वहीं ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सकतपुरा पंचायत में बना मुक्तिधाम ग्रामीणों के लिए सुविधाजनक तो नहीं बल्कि परेशानी खड़ी जरूर कर रहा है क्योंकि मुक्तिधाम में साफ-सफाई का अभाव भी नजर आ रहा है। श्मशान घाट के चारोें ओर झाड़ियां उग रहीं हैं। यहां अंतिम संस्कार के दौरान लोगों के न तो बैठने की कोई उचित व्यवस्था है और ना ही लाइट की कोई व्यवस्थाएं हैं यहां तक कि लकड़ी कंडे तक की व्यवस्था ग्रामीण अपने स्तर पर ही करते हैं वहीं मुक्तिधाम का चबूतरा और बाउंड्री जर्जर पड़ी है और मुक्तिधाम के ऊपर टीनशेड तक गायब है। इस करण बारिश के समय गांव वाले तिरपाल डालकर अंतिम संस्कार करते हैं।
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या के बारे में सरपंच और सचिव से कहा मगर उनके द्वारा इस और कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे ग्रामीण परेशान है, ऐसे में ग्रामीणों की इस विकराल समस्या का समाधान आखिर कब होगा यह एक सोचने की बात है क्या जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई एक्शन लेंगे या फिर ग्रामीण इस समस्या से इसी तरह जूझते रहेंगे।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट