ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” (Tansen Samaroh) का भव्य शुभारंभ संगीतनगरी ग्वालियर (Gwalior) में हुआ। हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि के समीप शिवपुरी की ऐतिहासिक छत्रियों की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर शनिवार की सांध्यबेला में आयोजित हुए भव्य एवं गरिमामय समारोह में देश के सुप्रतिष्ठित संतूर वादक पद्मश्री पं. सतीश व्यास को इस साल के “राष्ट्रीय तानसेन सम्मान” से अलंकृत किया गया साथ ही भोपाल की संस्था अभिनव कला परिषद को राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान से विभूषित किया गया। यह सम्मान कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही संस्था को दिया जाता है। समारोह में संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर एवं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित अन्य अतिथियों ने पं. सतीश व्यास को राष्ट्रीय तानसेन सम्मान के रूप में दो लाख रुपये की आयकर मुक्त सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका व शॉल-श्रीफल भेंट किए।
पं सतीश व्यास शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पद्मभूषण पंडित सीआर व्यास के सुपुत्र हैं। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संगीत सम्राट तानसेन के नाम से स्थापित यह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय संगीत सम्मान है। राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान के रूप में अभिनव कला परिषद भोपाल को एक लाख रुपये की आयकर मुक्त राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंट कर सम्मानित किया गया। अभिनव कला परिषद संस्था के सचिव पं. सुरेश तांतेड ने यह सम्मान ग्रहण किया। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन एवं कन्या पूजन कर इस वर्ष के तानसेन समारोह का विधिवत शुभारंभ किया।
प्रदेश सरकार ने तानसेन समारोह की पावन परंपरा को अक्षुण्ण रखा है
संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने इस मौके पर कहा कि कोविड संकट के बावजूद प्रदेश सरकार ने तानसेन समारोह की पावन परंपरा को खंडित नहीं होने दिया है। इस परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिये सरकार द्वारा इस साल कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए तानसेन समारोह का आयोजन किया जा रहा है। अगले साल यह समारोह और भव्य स्वरूप में आयोजित किया जाएगा। सुश्री उषा ठाकुर ने कहा संगीत ईश्वर की सच्ची आराधना है। प्रदेश सरकार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पुजारी है। इसीलिए प्रदेश में अन्य कलाओं के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने संगीत रसिकों की मांग पर बैजू बाबरा संगीत सम्मान देने पर गंभीरता से विचार करने की बात भी कही।
गौरव की बात है कि हम उस धरा पर जन्मे हैं जो तानसेन की साधना स्थली रही
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा हमारे लिए गौरव की बात है कि हम उस धरा पर जन्मे हैं जो संगीत सम्राट तानसेन की साधना स्थली रही है। उन्होंने संस्कृति मंत्री से तानसेन समारोह को और ऊँचाईयाँ प्रदान करने और किलागेट चौराहे का चहुँमुखी विकास करने का आग्रह किया। श्री तोमर ने कहा किलागेट चौराहे के विकास से यहाँ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने में मध्यप्रदेश पूरे देश में अग्रणी
राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से विभूषित पंडित सतीश व्यास ने कहा कि शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में काम करने वाले किसी भी कलाकार के लिये ये सपना पूरा होने जैसा है।उन्होंने तानसेन सम्मान प्रदान करने के लिये राज्य सरकार के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने में मध्यप्रदेश देश के सभी राज्यों से आगे है। अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश सरकार से इसकी प्रेरणा लेना चाहिए। उन्होंने ग्वालियर, मांडू व उज्जैन सहित अन्य स्थानों पर होने वाले उत्कृष्ट सांस्कृतिक आयोजनों की सराहना की। पं व्यास जी ने तानसेन अलंकरण को अपने पिताश्री पद्मभूषण पंडित सी आर व्यास , माताश्री श्रीमती इंदिरा व्यास व गुरूजी सुविख्यात संतूर वादक पण्डित शिवकुमार शर्मा को समर्पित किया पं सतीश व्यास ने ग्वालियर की अद्भुत कला रसिकता को भी सराहा।
राग मधुवंती में संतूर से झरे मीठे-मीठे सुर
तानसेन समारोह की पहली संगीत सभा के प्रथम कलाकार के रूप में तानसेन सम्मान से अलंकृत विश्व विख्यात संतूर वादक पं सतीश व्यास ने संतूर वादन प्रस्तुत किया। उनके संतूर वादन से झर रहे मीठे-मीठे सुरों से संगीत रसिक सराबोर हो गए। पं शिवकुमार शर्मा के सुयोग्य शिष्य पं सतीश जी ने अपने संतूर वादन की शुरूआत राग मधुवंती से की। उन्होंने पहली विलंबित रचना झपताल में पेश की और इसके बाद मध्य लय तीन ताल और द्रुत तीन ताल में संतूर वादन किया। सुंदर और मधुर आलापचारी जोड़ झाला की प्रस्तुति के बाद उन्होंने विलंबित गत ताल पेश कर समा बांध दिया। सुमधुर संतूर वादन को सुनकर रसिक वाह-वाह कहने को मजबूर हो गए। उनके वादन में रागों की अद्भुत और गहरी समझ, लय पर अद्भुत नियंत्रण एवं स्वर संयोजन व भाव प्राकट्य सुनते ही बन रहे थे। उनके सितार वादन की अलहदा शैली में “तंत्रकारी अंग” और “गायकी अंग” का अद्भुत संमिश्रण सुनने को मिला। पंड़ित सतीश व्यास ने विश्व विख्यात संतूर वादक पं. शिवकुमार शर्मा से भी शिक्षा प्राप्त की है। उनके वादन में गुरू की छाप स्पष्ट झलक रही थी। पं व्यास जी के साथ तबले पर सुविख्यात तबला वादक मुकुन्दराज देव ने नफासत भरी जुगलबंदी की।