MP Gwalior Farmers do not burn stubble : पराली जलाने से फ़ैल रहा जहर धुएं के रूप में दिल्ली और आसपास के राज्यों के लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है, बढ़ते प्रदुषण के बीच लोगों का साँस लेना मुश्किल हो रहा है खेतों में जलती पराली से निकली आग सियासत की गर्माहट को हर साल सर्दी शुरू होते ही बढ़ा देती है, ऐसे में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के किसानों के प्रयास उन लोगों के लिए सबक हो सकता है जो पराली को जलाकर पर्यावरण और अपने खेतों की उर्वरा शक्ति का नुकसान कर रहे हैं
जो किसान पराली व फसल के अन्य अवशेष जलाकर अपने खेतों एवं पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, वे ग्वालियर जिले के मिलावली गाँव के जागरूक किसानों से सीख लेकर अपना एवं पर्यावरण का भला कर सकते हैं। यहाँ के किसानों ने सुपर सीडर के जरिए पराली, नरवाई व फसलों के अन्य प्रकार के अवशेषों का प्रबंधन कर पराली जलाने से तौबा कर ली है। किसानों के इस पराली प्रबंधन की खबर प्रशासन के कान तक भी पहुंची तो ग्वालियर संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने आज बुधवार को मिलावली गाँव पहुँचकर किसानों की तकनीक को देखा, समझा और सराहा फिर किसानों का गुलदस्तों से स्वागत कर उत्साहवर्धन किया।
गाँव के किसान बने हैं एक उदाहरण
संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने कृषि अभियांत्रिकी एवं किसान कल्याण व कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मैदानी अमले के माध्यम से गाँव-गाँव में सुपर सीडर के बारे में प्रचार-प्रसार करें, जिससे पराली जलाने की प्रवृत्ति पर प्रभावी रोक लग सके। उन्होंने कहा किसानों को यह भी बताएं कि सुपर सीडर के लिये सरकार द्वारा बड़ा अनुदान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यहाँ के किसान संभाग के सभी किसानों के लिये उदाहरण बने हैं।
सुपर सीडर से होता है पराली प्रबंधन, सीधे होती है बुवाई
संभाग आयुक्त खत्री ने ग्राम मिलावली के जागरूक किसान अमृतलाल के धान के खेत पर पहुँचकर सुपर सीडर से नरवाई प्रबंधन के साथ गेहूँ की बुवाई देखी। अमृतलाल धान कटाई के बाद खेत में सुपर सीडर के जरिए सीधे ही गेहूँ की बुवाई कर रहे हैं। सुपर सीडर से बुवाई करने से होने वाले फायदों के बारे में बताते हुए अमृतलाल बोले कि धान की कटाई के बाद नरवाई जलाने से गेहूँ की बोवाई समय पर नहीं हो पाती, जिससे फसल पकने के समय अधिक तापमान होने से गेहूँ के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति तो कम होती ही है, इससे उठने वाले धुँए से पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुँचता है। सुपर सीडर ने किसानों की यह समस्या हल कर दी है।
सुपर सीडर नरवाई को मिट्टी में मिला देता है, नहीं होती जलाने की जरूरत
मिलावली गाँव के अमृतलाल, गिर्राज सिंह, कौशलेन्द्र व अंजेश सहित अन्य किसानों का कहना था कि सुपर सीडर नरवाई को मिट्टी में मिला देता है, जिससे गेहूँ की फसल के लिये हरी खाद की पूर्ति हो जाती है। साथ ही नरवाई जलाए बगैर सीधे बोवनी से समय व लागत की बचत भी होती है। इन सभी का कहना था कि हमारे गांव में पिछले तीन साल से धान की कटाई के बाद सुपर सीडर से बोवनी की जा रही है। पहले हमारे गाँव में एक सुपर सीडर आया था। इसकी बोवनी से हुए फायदे से प्रेरित होकर अब हमारे गाँव में पाँच सुपर सीडर हो गए हैं। जिले के सभी किसानों को पराली जलाने के बजाय सुपर सीडर से बोवनी करनी चाहिए।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने शासन के अनुदान की जानकारी दी
संभागीय कृषि यंत्री जीसी मर्सकोले ने बताया कि सुपर सीडर खरीदने के लिये किसानों को सरकार द्वारा कृषि अभियांत्रिकी विभाग के माध्यम से एक लाख 5 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। सुपर सीडर की कीमत ढ़ाई से तीन लाख के बीच होती है। उन्होंने भी किसानों के पराली प्रबंधन की सराहना की और अन्य किसानों से इसे अपनाने की अपील की।
संभाग आयुक्त ने ग्रामीणों की अन्य समस्यायें भी जानी
भ्रमण के दौरान संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने किसानों से रूबरू होकर उनकी समस्यायें व कठिनाईयां भी सुनीं। ग्रामीणों का कहना था कि गाँव का जल स्तर नीचे चले जाने से हैंडपम्पों ने पानी देना बंद कर दिया था। सरकार द्वारा स्थापित की गई नल-जल योजना ने गाँव की पेयजल समस्या हल कर दी है। इससे सुचारू रूप से पेयजल आपूर्ति हो रही है। संभाग आयुक्त ने ग्रामीणों से जल के संरक्षण व संवर्धन संबंधी कार्यों में सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा इससे गाँव का जल स्तर बढ़ेगा। उन्होंने ग्राम रोजगार सहायक व पंचायत सचिव को गाँव में मनरेगा के तहत जल सहेजने संबंधी कार्य कराने के निर्देश दिए।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट