अयोध्या में बनने जा रहे भव्य राम मंदिर का पूरे देश ने स्वागत किया है, यहाँ तक कि राम मंदिर के विरोध में दलीलें देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की फौज खड़ी करने वाली कांग्रेस ने भी इसका समर्थन कर दिया। राहुल-प्रियंका सहित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने भी राम को आस्था का केंद्र बताते हुए इसका स्वागत किया। कमलनाथ ने तो भगवा कपड़े पहनकर श्रीराम और हनुमान जी की पूजा भी की और इसी बात से मुस्लिम समाज नाराज हो गया है और कमलनाथ एवं कांग्रेस के खिलाफ फतवा जारी कर चुनावों में विरोध का ऐलान किया है।
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AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित कुछ मुस्लिम नेताओं को राम मंदिर निर्माण रास नहीं आ रहा। ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त को किये गए अयोध्या में राम मंदिर के लिए किये भूमिपूजन कार्यक्रम को भी गैर संवैधानिक करार दिया, प्रधानमंत्री सहित उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मौजूदगी पर भी सवाल उठाये। ओवैसी ने कहा कि मेरे लिए तो वहाँ बाबरी मस्जिद थी है और रहेगी। बाबरी मस्जिद को शहीद कर उस जगह मंदिर बनाना गैरसंवैधानिक है। ओवैसी ने राम मंदिर भूमिपूजन का विरोध किया तो मुस्लिम संस्थाएँ अब इसका समर्थन करने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ उतर आया है और उनके खिलाफ फतवे जारी करने लगी हैं।
राम मंदिर निर्माण का विरोध कर रही कांग्रेस के नेताओं ने अचानक यू-टर्न लिया और प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इसका स्वागत किया। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तो भगवा कपड़े पहनकर भगवान श्रीराम की पूजा की और हनुमान चालीसा का पाठ किया। उनके निर्देश पर प्रदेश भर में कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस कार्यालयों और अपने घरों में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया। कमलनाथ का ये बदला हुआ रूप देखकर हैदराबाद के मुस्लिम उलेमा नाराज हो गए और हैदराबाद की एक तंजीम जामिया निजामिया नए कमलनाथ और कांग्रेस के खिलाफ फतवा जारी कर दिया। फतवे में कहा गया कि पिछले कुछ अरसे से कमलनाथ और कांग्रेस ने जिस तरह से मुसलमानों से मुँह मोड़ा है उससे साफ है कि अब हमारा साथ देना उनकी सियासत के हक में नहीं है। कौम को कभी भी कमलनाथ पर पुरसुकून यकीन नहीं था फिर भी जिस तरह से उन्होंने कौम के नुमाइंदों के आगे हिंदुओं से निपट लेने के दलीलें दी थी, उस पर हमने भी खुलकर उनका हाथ थामा था।
पर पिछले एक हफ्ते से उनकी बेखौफ हिंदूपरस्ती के नमूने मीडिया में देख रहे हैं। कभी हनुमान की पूजा, कभी शहीद बाबरी मस्जिद पर बन रहे राम मंदिर का इस्तकबाल, उनके बयानों में कौम की दिली तकलीफ के लिए जरा भी हमदर्दी नहीं थी। उनकी हरकतों ने शक की हर बुनियाद को साफ कर दिया है कि मुसलमान सिर्फ उनके लिए सियासती प्यादे हैं जिन्हें वे अपनी हुक्मरानी में कुर्बान कर सकते हैं। आने वाले समय में कौम का रुख साफ है। सियासतदां जिस तिजारतीतौर पर कौम को तौलते हैं, अब मुसलमानों को भी सियासी पार्टियों को फायदे के तराजू पर तोलना होगा, कमलनाथ की शतरंज में कुर्बान होना हमें कुबूल नहीं है।
इस वाकये के बाद से कौम के सभी ख्वातीनों हजरात् को हमारा मशविरा है कि आने वाले इंतिखाबात में कमलनाथ और कांग्रेस के भरोसे ना रहे। अपने इलाके में आपका साथ देने वाले नुमाइंदे को तौल कर अपना वोट दें।
फतवे के आखिर में लिखा गया है कि इस मुल्क में अब मुसलमान अकेला है। हमें कांग्रेस और कमलनाथ के भरोसे नहीं रहना। बहुत सोच समझ कर अपना रहनुमा चुनना है और हमें अपने दीन पर भरोसा करना है। बहरहाल फतवा जारी करने वाली तंजीम जामिया निजामिया फतवा जारी करने के लिए अधिकृत है या नहीं नहीं ये हम नहीं जानते और एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इस फतवे की पुष्टि भी नहीं करती लेकिन उप चुनाव से पहले कमलनाथ और कांग्रेस के खिलाफ हैदराबाद से आया ये फतवा इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बना हुआ है।