चार सनकी नवयुवकों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, रात को निकलकर तोड़े थे कारों के शीशे

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना । शहर की मुरार थाना पुलिस ने चार ऐसे सनकी नवयुवकों को गिरफ्तार किया है जो आधी रात के वक्त बाइक और स्कूटर पर निकलते थे और सड़क पर खड़ी कारों के शीशे तोड़ते थे। दो दिन पहले इन नवयुवकों ने मुरार के एक क्षेत्र में खड़ी कारों में तोड़फोड़ की थी इस मामले में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिले थे जिसके बाद पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया।

ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र के 7 नंबर चौराहा और सीपी कॉलोनी इलाके में घरों के बाहर खड़ी कारों के रविवार सोमवार की दरमियानी रात किसी ने शीशे तोड़ दिए थे। पीड़ित लोग पुलिस के पास पहुंचे जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज चैक किये जिसमें जानकारी मिली कि चार नवयुवक जो दो पहिया वाहनों पर सवार है उन्होंने पत्थरों से इन कारों के शीशों को तोड़ा है। फुटेज के आधार पर पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की। पड़ताल के बाद पुलिस ने नितिन जाटव, अंकित पाल, दिव्यांश सोनी और रौनक मौर्य को गिरफ्तार कर लिया। खास बात ये है कि नितिन, अंकित और दिव्यांश 20-20 साला के हैं जबकि रौनक 18 साल का है।

पूछताछ में युवकों ने बताया कि उन्हें शीशे तोड़ने में अच्छा लगता था इसलिए मस्ती करते हुए तोड़ दिये उनका चोरी अथवा दूसरा और कोई मकसद नहीं था। नवयुवकों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल एक्टिवा स्कूटर और एक बाइक को भी बरामद किया गया है।पुलिस को फिलहाल गिरफ्तार नवयुवकों का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं मिला है ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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