मरीज की मदद करने वाले ABVP कार्यकर्ता पर लूट का केस, एसपी ऑफिस का घेराव, जज की कार से जुड़ा है मामला

Gwalior News

Gwalior News : ग्वालियर में एक ऐसा मामले सामने आया है कि कोई भी अब किसी मरीज की मदद करने से पहले दस बार सोचेगा। हालाँकि पूरा घटनाक्रम बहुत अलग तरीके से घटा लेकिन उसका अंतिम परिणाम जो सामने आया वो बहुत ही अलग और कष्टदायी रहा जिसके बाद पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है?

दरअसल ये पूरा मामला ग्वालियर रेलवे स्टेशन का है, बताया गया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने यात्रा के दौरान एक बुजुर्ग व्यक्ति को बीमार अवस्था में देखा उन्होंने उसकी मदद के लिए उसे ट्रेन से उतारा और स्टेशन पर शुरूआती इलाज देकर रेलवे स्टाफ और पुलिस से मदद की गुहार लगाई।

पुलिस ने क्यों लूट डकैती का केस लगाकर ABVP कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया?

कार्यकर्ताओं का कहना है कि करीब आधा घंटा बीत जाने के बाद भी कोई मदद पुलिस या रेलवे की तरफ से नहीं मिलती तो वे उसे अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन इलाज के दौरान अस्पताल में डॉक्टर मरीज को मृत घोषित कर देते हैं और मौत की वजह हार्ट अटैक बताते हैं और उधर  पुलिस  ABVP कार्यकर्ताओं पर लूट का मामला दर्ज कर लेती है, उन्हें गिरफ्तार कर लेती है । रात को कार्यकर्ता पड़ाव थाने का घेराव करते हैं और केस वापस लेने की मांग करते हैं।

छात्रों ने क्यों छीनी हाई कोर्ट जज की कार? 

पुलिस के मुताबिक जिस मरीज की मृत्यु हुई वो प्रोफ़ेसर रंजीत सिंह थे और वे शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी में वीसी थे, उनकी तबियत मुरैना में ख़राब हुई एबीवीपी के छात्र भी ट्रेन में थे उन्हें मुरैना में मदद नहीं मिली तो उन्होंने ग्वालियर में वीसी रंजीत सिंह को उतार लिया लेकिन उन्हें जब बाहर एम्बुलेंस नहीं दिखी तो उन्होंने वहां हाईकोर्ट जज की गाड़ी में बैठे ड्राइवर को जबरन  उतारा (ड्राइवर हाईकोर्ट जज को लेना स्टेशन पर पहुंचा था) और गाड़ी से मरीज को लेकर अस्पताल चले गए जिसके बाद ड्राइवर की शिकायत पर उनके कार्यकर्ताओं पर लूट डकैती का प्रकरण दर्ज कर लिया, हालाँकि बाद में गाड़ी जयारोग्य अस्पताल के बाहर खड़ी मिल गई।

ABVP के कार्यकर्ता एसपी ऑफिस का घेराव कर क्या मांग कर रहे हैं?

अब इस पूरे मामले को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता आन्दोलन कर रहे हैं, उन्होंने आज सुबह एसपी ऑफिस का घेराव किया,  ABVP के प्रान्त मंत्री संदीप वैष्णव का कहना है कि हमने तो बीमार की मदद की थी और हम पर ही लूट और डकैती का मुकदमा दर्ज कर लिया,इस तरह से कोई भी किसी की मदद नहीं करेगा? ABVP का कहना है कि सेवा परमोधर्म का पालन कर हमने मरीज की मदद की? हमें पता ही नहीं था कि कि वो जज साहब की गाड़ी है हमारा उदेश्य केवल जल्दी से जल्दी मरीज को अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाना था लेकिन हमारी ही सरकार में हमारे कार्यकर्ताओं पर लूट और डकैती का मामला दर्ज करना अनुचित है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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