ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) में महापौर नगर निगम परिषद का चुनाव कौन जीतेगा ये परिणाम ही बताएगा लेकिन भाजपा (BJP Madhya Pradesh) और कांग्रेस (MP Congress) के महापौर प्रत्याशी बागियों के साये में चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात ये है कि ये बगावत या अंदरूनी कलह सिर्फ महापौर टिकट पर ही नहीं है, पार्षद के टिकटों पर भी है।
आपको बता दें कि ग्वालियर के कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार (Congress MLA Dr Satish Singh Sikarwar) पार्टी जिला अध्यक्ष और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के तगड़े विरोध के बावजूद पार्टी से अपनी पत्नी शोभा सिकरवार (Shobha Sikarwar Congress Mayor Candidate) के लिए महापौर का टिकट ले आये। कमल नाथ ने उन्हें टिकट दे दिया, अब हालात ये है विधायक सतीश सिकरवार और उनके परिवार के लोग ही प्राण प्रण से प्रचार में जुटे हैं।
कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार की खुद की अपनी टीम शहर में हर जगह दिखाई दे रही है लेकिन अभी तक के कैम्पेन में पार्टी का कोई बड़ा नेता प्रचार में दिखाई नहीं दिया। अच्छी बात ये है सतीश सिकरवार खुद विधायक हैं , उनकी पत्नी महापौर प्रत्याशी शोभा सिकरवार तीन बार की पार्षद हैं, छोटा भाई सत्यपाल सिंह सिकरवार विधायक रह चुका है इसलिए पूरे परिवार को चुनाव लड़ने का अनुभव है।
पार्टी के अंदरूनी विरोध और बागियों की नाराजगी को विधायक सतीश सिकरवार कुछ बड़ी बात नहीं मानते , उनका कहना है कि कहीं कोई नाराजी नहीं है, जो नाराज हैं वो भी मान जायेंगे और कांग्रेस सिर्फ महापौर चुनाव में ही नहीं परिषद् बनाने में भी इतिहास बनाएगी।
उधर भाजपा का हाल इससे भी बुरा है। यहाँ केंद्रीय केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित और भी कई बड़े नेता हैं जिनके समर्थकों को साधने में आउट टिकट देने में पार्टी को बहुत मेहनत करनी पड़ी, बावजूद इसके कई वार्डों में प्रत्याशी चयन को लेकर विरोध जारी है।
कल रविवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री चंद्रप्रकाश सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के सामने केंद्रीय चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान हंगामा पर कार्यकर्ताओं ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। नारेबाजी के बीच कार्यकर्ताओं ने चयन समिति प्रमुख एवं ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर का घेराव किया और उन्हें खरी खोटी तक सुनाई।
हालाँकि भाजपा महापौर पद की प्रत्याशी सुमन शर्मा इस नाराजगी को विरोध नहीं मानती, उनका कहना है कि भाजपा के कार्यकर्ता एक बार रूठते हैं लेकिन जब हमारे नेता उनको पास बैठाते हैं, उन्हें समझाते है तो सब मान जाते है। आप परिणाम देखना।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....