Gwalior News : महिला को ट्रेन से फेंकने और दुष्कर्म के प्रयास के मामले में नया मोड़, अब बताई ये कहानी

Gwalior News : सूरत एक्सप्रेस से एक महिला को नीचे फेंकने, उसके साथ दुष्कर्म के प्रयास जैसे मामले में अब नया मोड़ आ गया है, जीआरपी पुलिस की जांच में ये कहानी झूठी निकली है, महिला ने जो बयान जीआरपी को दिए हैं वो अलग ही हैं, पुलिस ने जांच के दौरान साक्ष्य जुटाने के बाद महिला को सूरत के लिए रवाना कर दिया हैं।

बीती 19 जून को सूरत एक्सप्रेस से गिरकर घायल हुए महिला पुरुष की कहानी अलग ही निकली है, महिला द्वारा पुलिस को दिए बयान कि “उसके साथ कुछ लड़कों ने ट्रेन में  दुष्कर्म का प्रयास किया है और नीचे फेंक दिया है” ने पुलिस को चकरघिन्नी आकर दिया, पुलिस ने जाँच के लिए ग्वालियर से लखनऊ तक सीसीटीवी खंगाले रेलवे के सोर्स एक्टिव किये लेकिन कहीं भी इस तरह की कोई घटना जाँच में नहीं आई।

जीआरपी ग्वालियर थाना प्रभारी बबीता कठेरिया  ने मीडिया को जानकारी देते हुये बताया कि महिला ने जो कोर्ट के सामने 164 के तहत बयान दिए हैं उसमें उसने उसके साथ दुष्कर्म और ट्रेन से फेंके जाने की बात से इंकार किया है, उसने बताया कि उसके साथ उसका भतीजा मदन था, हमारा रिजर्वेशन दूसरी ट्रेन में था, ट्रेन छूट गई तो हम दूसरी ट्रेन में चढ़ गए जहाँ हमारा कुछ लड़कों से विवाद हुआ , वो वीडियो बनाने लगे तो हम दूसरे कोच में चले गए और गेट पर बैठ गए।

उसने बताया कि रास्ते में जब ट्रेन मोड़ पर थी तब उसे नींद का झोंका आया और वो ट्रेन से गिर गई , उसे बचाने उसका भतीजा मदन भी कूद गया, जिससे वो घायल हो गई, टी आई ने बताया कि महिला के बयान के तस्दीक जिस जगह की घटना हैं उसके पास के गाँव बरोड़ी के उन लोगों से भी की जहाँ वो रात को पहुंची थी, 108 , डायल 100 से भी की जहाँ महिला के साथ दुष्कर्म के प्रयास की कहानी झूठी निकली।

जाँच में सभी लोगों ने भी यही बताया कि महिला ने कहा कि वो ट्रेन से गिर गई और घायल हो गई उसे बचाने के लिय यूसका भतीजा भी ट्रेन से कूद गया और कोई घटना होना इन लोगों ने नहीं बताया, बहरहाल पुलिस ने बताया कि महिला को शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और फिर उसे दूसरी ट्रेन से ग्वालियर से सूरत के लिए रवाना कर दिया गया।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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