ग्वालियर, अतुल सक्सेना। अपराधों पर नियंत्रण के लिए ग्वालियर(Gwalior News) में तिराहों, चौराहों पर लगाए गए पुलिस (Gwalior Police) के अधिकांश सीसीटीवी कैमरे (CCTV (Cameras) इस समय ख़राब हैं, नतीजा ये है कि पुलिस को अपराधों को ट्रेस करने या अपराधी तक पहुँचने में समय लग जाता है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस मुख्यालय को नहीं है लेकिन कैमरों को सुधारने या बदलने की शुरुआत नहीं हो पाई है।
ग्वालियर के लगभग 80 चौराहों, तिराहों पर पुलिस के 569 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इसके अलावा पुलिस थानों, पुलिस चौकियों में भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन इनमें से अधिकांश कैमरे लगभग आधे से ज्यादा ख़राब पड़े हैं। जिसका असर अपराध नियंत्रण पर हो रहा है।
अपराध नियंत्रण के लिए लगाए गए कैमरों के ख़राब होने से शहर के अपराधों पर नियंत्रण में परेशानी हो रही है। पुलिस को चौराहों पर लगे ग्वालियर स्मार्ट सिटी कंपनी के कैमरे और लोगों के घरों पर लगे प्राइवेट कैमरों की मदद लेनी पड़ रही है।
ग्वालियर पुलिस अधीक्षक अमित सांघी(SP Amit Sanghi) भी स्वीकार करते हैं कि काफी संख्या में पुलिस के कैमरे ख़राब हैं, पुलिस मुख्यालय भोपाल (PHQ Bhopal) को बता दिया गया है, ये सेंट्रलाइज कॉन्टैक्ट है। जिस कंपनी ने लगाए हैं वो जल्दी ही इसे सुधारेंगे ऐसा उनका कहना है। अभी हम अपराधों का पता लगाने के लिए अपने कुछ कैमरों के साथ स्मार्ट सिटी और लोगों के घरों पर लगे निजी कैमरों की मदद ली जा रही है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....