Gwalior News : ग्वालियर कलेक्ट्रेट में चल रही जनसुनवाई में आज उस समय अफसरों के हाथ पैर फूल गए जब जनसुनवाई कक्ष के अन्दर अफसरों के सामने भीड़ के बीच एक आदिवासी महिला ने अपने ऊपर केरोसिन (मिटटी का तेल ) डाल लिया, महिला इससे आगे कुछ कर पाती या कुछ अप्रिय स्थिति बन पाती उससे पहले ही वहां मौजूद एसडीएम सीबी प्रसाद ने महिला के हाथ से केरोसिन की बोतल छीनी, उसका हाथ पकड़ा और पुलिसकर्मियों की मदद से कक्ष से बाहर करवा दिया, महिला का कहना था कि जिला प्रशासन ने पहले हमारे जाति प्रमाणपत्र बनाये फिर निरस्त कर दिए जिसके कारण हमारे बच्चों को स्कूल और हॉस्टल से निकाल दिया गया है हम कहाँ जाएँ?
ग्वालियर कलेक्ट्रेट में मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में 50 से अधिक आदिवासी महिलाओं ने पहुंचकर जमकर हंगामा किया, मोंगिया आदिवासी समाज की ये महिलाएं झांसी रोड क्षेत्र में सिंधिया नगर में मरघट वाली पहाड़ी पर रहती है, कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करने वाली आदिवासी महिलाएं जिला प्रशासन द्वारा उनके आदिवासी जाति के प्रमाण पत्र बनाकर रद्द किए जाने से नाराज थीं ।
महिलाएं जब जनसुनवाई कक्ष में पहुंची तो उनकी पहले अधिकारियों से बहस हुई और फिर उनमें से एक महिला सुनीता आदिवासी ने अपने ऊपर केरोसिन उड़ेल लिया और खुद को आग लगाने की कोशिश की, महिला के आत्मदाह के प्रयास के कदम से कलेक्ट्रेट में अफरा तफरी मच गई , जनसुनवाई में बैठे एसडीएम सीबी प्रसाद ने हालात को देखते हुए महिला से केरोसिन की बोतल छीनी, उसका हाथ पकड़ा, समझाने की कोशश की , उसके साथ की महिलाओं को भी समझाया और फिर महिला सुनीता आदिवासी को पुलिस के हवाले कर दिया ।
सुनीता आदिवासी मोंगिया का कहना है कि प्रशासन ने पहले उनके अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाणपत्र बनाया फिर उसे रद्द कर दिया, जाति प्रमाण पत्र रद्द होने से उनके बच्चों को स्कूल से निकाला जा रहा है, उनको परीक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा, जाति प्रमाणपत्र मांगा जा रहा है, कई बच्चे आदिमजाति हॉस्टल में रहते थे उन्हें भी बाहर किया जा रहा है, हम लोग छह माह से चक्कर काट रहे हैं। सुनीता ने कहा जब हम एसटी में आते हैं तो हम एससी का प्रमाणपत्र क्यों बनवाएं।
उधर एसडीएम सीबी प्रसाद ने कहा कि आज कुछ मोंगिया समाज की महिलाएं आई थी, उनमें से एक महिला ने मिटटी का तेल दाल लिया शायद पूरी प्लानिंग के साथ आई थी लेकिन हमने कंट्रोल कर लिया , एसडीएम ने कहा कि ये लोग हमसे पहले मिले थे मैंने इनके अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र जारी भी किये गए थे लेकिन जांच से पता चला कि ये जनजाति में नहीं आते बल्कि अनुसूचित जाति में आते हैं इसलिए इनके एसटी के जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिए गए और इनसे कहा गया कि वे एससी के लिए आवेदन कर दें लेकिन वे एसटी के सर्टिफिकेट जारी करने का दवाब बना रहे हैं जबकि एससी और एसटी दोनों को सुविधाएं समान हैं। मालूम नहीं किसके बहकावे में ये ऐसा कर रहे हैं।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट