सिंधिया के ट्रस्ट की जमीनों के मामले में HC में सुनवाई, केंद्र सरकार को पार्टी बनाने की मांग

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of High Court) में भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (BJP MP Jyotiraditya Scindia) के कमलाराजे ट्रस्ट (Kamalaraje Trust) को लेकर वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई । याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और ग्वालियर के झांसी रोड सर्किल के एसडीएम (SDM) को पार्टी बनाने के लिए एक आवेदन कोर्ट में पेश किया है।

ग्वालियर हाई कोर्ट की युगल पीठ ने राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों के नाम की संपत्तियों के मामले में मंगलवार को सुनवाई की। याचिकाकर्ता ऋषभ भदौरिया के वकील ने तर्क दिया कि केंद्र शासन को इस मामले में पार्टी बनाया जाए। क्योंकि आजादी के वक्त केंद्र शासन के साथ एक कोविनेंट साइन हुआ था, उसमें राजाओं ने अपने पास जो संपत्तियां रखी थीं, उन संपत्तियों का उल्लेख कोविनेंट में था। सिंधिया रियासत के साथ भी एक कोविनेंट साइन हुआ था। प्रशासन ने सिंधिया के ट्रस्ट (Scindia’s Trust) के नाम जो संपत्तियां की है, उनका उल्लेख कोविनेंट है या नहीं इसका ब्योरा मंगवाने का आवेदन पत्र में प्रार्थना की गई है। साथ ही पिछली कांग्रेस सरकार के समय नामांतरण करने वाले झांसी रोड सर्किल के एसडीएम अनिल बनवारिया को भी इसमे में पार्टी बनाया जाए। क्योंकि उन्होंने महलगांव व ललितपुर हलके के सर्वे नंबरों का नामांतरण किया था। अनिल बनवारिया से भी जवाब मांगा जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन को रिकॉर्ड पर ले लिया।

वहीं शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने याचिकाकर्ता के आवेदन का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय ले लिया। गौरतलब है कि हाई कोर्ट में कांग्रेस नेता ऋषभ भदौरिया ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्टों के नाम की गई संपत्तियो की जांच के लिए जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने संपत्तियों को शासकीय बताते हुए जांच की मांग की है। संपत्तियों का नामांतरण निरस्त करने की मांग की है। करीब एक दर्जन सर्वे नंबरों को सिंधिया के ट्रस्टों के नाम किया गया है। सिंधिया के ट्रस्टों के नाम जो संपत्तियां की गई हैं, वह ग्वालियर में सिटी सेंटर, महलगांव क्षेत्र में स्थित है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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