हाईकोर्ट की सख्ती : भू माफिया को संरक्षण देने वाले अफसरों पर क्यों ना FIR की जाए? पीएस सहित कई को नोटिस

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ग्वालियर। एंटी माफिया अभियान के तहत प्रदेश सहित ग्वालियर में भी भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई जारी है ।  अब तक कई करोड़ की सरकारी भूमि माफिया के कब्जे से मुक्त कराई जा चुकी है। इस  बीच  मांग उठने लगी है कि भू माफिया को संरक्षण देने वाले सरकारी अधिकारियों। के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती। इसी  मांग के  साथ ग्वालियर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गृह विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, लोकायुक्त संगठन, ग्वालियर कलेक्टर, निगम कमिश्नर और एस पी को नोटिस देकर पूछा है कि क्यों ना भू माफिया को संरक्षण देने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्यों ना FIR दर्ज करा दी जाए। कोर्ट ने 7 दिन में नोटिस का  जवाब मांगा है।

 दरअसल एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस प्रशासन सहित अन्य विभागों ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई । इन विभागों के अधिकारियों ने भू माफिया का साथ देकर सरकारी जमीनों पर कब्जे करा रहे हैं और अवैध निर्माण की मंजूरी दे रहे हैं। जिसके कारण  सिर्फ अवैध अतिक्रमण हो रहे हैं बल्कि नदी, नाले, सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं। प्रदेश सरकार के निर्देश पर भू माफिय के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है लेकिन उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जारही  जिनके कार्यकाल में और सहयोग से ये अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर कब्जे हुए। याचिका में कहा गया है कि नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा  292 डी और जी के अनुसार अवैध निर्माण अथवा अतिक्रमण को अनदेखा करने वाले या गलत अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका में दिए तथ्यों पर सुनवाई करते हुए  हाईकोर्ट  की ग्वालियर बेंच के जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव श्रीवास्तव की बेंच ने मप्र सरकार  गृह विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, लोकायुक्त संगठन, ग्वालियर कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ने भू माफिया का साथ देने वाले अफसरों केखिलाफ नगर निगम अधिनियम की धारा 292 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज कराई जाए। कोर्ट ने नोटिस  जवाब 7 दिन में मांगा है।


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