ग्वालियर, अतुल सक्सेना| लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत (Special CBI court Lucknow) ने आज बुधवार को 28 साल पुराने बाबरी विध्वंस केस (Babari babri masjid demolition Case) के सभी 32 आरोपियों बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी अचानक हुई थी। अदालत के फैसले के बाद मामले से जुड़े सभी लोगों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। बाबरी विध्वंस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) भी फैसले के वक्त विशेष अदालत में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि “सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं”
फैसला सुनाते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि साक्ष्यों को देखने के बाद ये साफ हो जाता है कि विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और यह अचानक हुई थी। अदालत ने सीबीआई के कई साक्ष्यों को भी नहीं माना। फैसले के बाद अदालत के बाद बाहर आए वकीलों ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि फोटो से कोई आरोपी नहीं हो जाता है। जो साक्ष्य प्रस्तुत किये गए हैं उससे स्पष्ट होता है कि किसी भी तरीके से विवादित ढांचा को गिराने का कोई भी प्रयास आरोपित व्यक्तियों ने नहीं किया था। अदालत ने यह भी कहा कि अगर यह षडयंत्र आरोपित व्यक्तियों ने किया होता तो रामलला की मूर्तियों को वहां से पूर्व में ही हटा दिया जाता।