ग्वालियर। समाज के दरिंदों से बेटियों को बचाने के लिए सरकारें बेटी बचाओ का नारा दे रही हैं साथ ही जागरूकता अभियान चला रही हैं लेकिन जब घर के अंदर ही दरिंदे छिपे हो तो ये बेटियों की सुरक्षा कौन करेगा। ग्वालियर में खून के रिश्तों को कलंकित एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए पीड़िता के दुष्कर्मी पिता को उम्र कैद और दुष्कर्मी भाई को 14 साल की सजा सुनाई है।
दरअसल इंदरगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली 12 साल की नाबालिग लड़की की शिकायत पर 2013 में इंदरगंज थाने में उसके पिता और भाई के खिलाफ दुष्कर्म करने और धमकाने का मामला दर्ज किया गया था। शासकीय अधिवक्ता अनिल मिश्रा के मुताबिक लड़की की मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। वो पिता और भाई के साथ रहती थी और पांचवीं में पढ़ती थी । एक दिन घर में उसके पिता ने नशे की हालत में अपनी बेटी को हवस का शिकार बना लिया इसके बाद पिता लगातार उसके साथ दुष्कर्म करता रहा । एक दिन लड़की के भाई ने पिता की हरकत देख ली। लेकिन उसका पिशाच भी अंदर से जाग गया उसने राखी का वचन निभाने की जगह अपनी बहन का बलात्कार कर दिया । कई दिनों तक लड़की पिता और भाई की हरकत को छुपाए रही लेकिन जब उसकी सहनशीलता जवाब देने लगी तो उसने चचेरे भाई और भाभी को घटना से अवगत कराया लड़की की कहानी सुन चचेरे भाई भाभी ने उसे ले जाकर थाने में शिकायत दर्ज कराई ।
इंदरगंज थाना पुलिस ने इस मामले में पॉस्को एक्ट अदालत में दोनों आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया । चूंकि मामला लड़की के परिजनों से जुड़ा था इसलिए पुलिस फूंक फूंक कर कदम रख रही थी। पुलिस ने अपना शक दूर करने के लिए तथ्यात्मक दस्तावेज जुटाए और चालान के साथ कोर्ट में पेश करने के लिए लड़की का डीएनए कराया था। डीएनए रिपोर्ट में परिजनों द्वारा दुष्कर्म की पुष्टि होने के बाद इस मामले में पंचम अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉस्को एक्ट अर्चना सिंह ने दोषी पिता को उम्र कैद की सजा से दंडित किया है और पीड़िता के भाई को 14 साल के सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है। न्यायालय ने पिता-पुत्र पर दस दस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। न्यायालय का यह भी कहना था कि जब संरक्षणदाता ही बेटियों का भक्षण करने लगे तो फिर उन्हें कैसे बचाया जाए ।इसलिए समाज को कड़ा संदेश देने के लिए यह सजा जरूरी है। बहरहाल दुष्कर्मियों को उनके किए की सजा मिल गई लेकिन खून के रिश्ते कलंकित हुए इन्हें बचाने की आज बहुत आवश्यकता है।