MP Election 2023 : प्रिटिंग प्रेस संचालकों पर सख्ती, आदेश नहीं मानने पर भुगतनी पड़ सकती है 6 माह की सजा

MP Panchayat By-Election

MP Election 2023 : भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कल सोमवार को पांच राज्यों में चुनावों की तारीखों का ऐलान करते के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गई है, मप्र में भी राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी एक्शन मोड में आ गए है और शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों सहित उन सभी लोगों और संस्थाओं को निर्देश दे रहे हैं जो चुनव कार्य में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं।

नियमों के उल्लंघन पर हो सकती है 6 महीने की सजा 

इसी क्रम में मंगलवार को ग्वालियर कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने सभी प्रिटिंग प्रेस संचालकों से कहा कि वे भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें। इसमें कोताही पाई जाने पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। बैठक में बताया गया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का पालन न करने पर प्रिंटिंग प्रेस संचालक को 6 माह की सजा हो सकती है। साथ ही अर्थदण्ड भी भुगतना होगा।

पोस्टर, बैनर पर मुद्रक प्रकाशक का नाम लिखना अनिवार्य  

प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को आगाह करते हुए बैठक में जानकारी दी गई कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127-क में स्पष्ट किया गया है कि चुनाव प्रचार संबंधी पर्चे, पोस्टर, बैनर इत्यादि की प्रिंट लाईन में मुद्रक और प्रकाशक के नाम अनिवार्य रूप से स्पष्ट दर्शाए जाएं। साथ ही मुद्रित मटेरियल की संख्या भी प्रदर्शित करें। इस प्रकार मुद्रित की गई सामग्री की चार प्रतियां और प्रकाशक के घोषणा पत्र की एक प्रति मुद्रण के तीन दिवस के अंदर जिला निर्वाचन कार्यालय को निर्धारित प्रपत्र में अनिवार्यत: प्रस्तुत करनी होगी। साथ ही यह भी बताना होगा कि मुद्रित किए गए पेम्प्लेट, बैनर व पोस्टर इत्यादि की संख्या क्या है।

इस मामले में उम्मीदवार की सहमति जरूरी 

सभी प्रिंटिंग प्रेस के संचालको को सचेत किया गया कि किसी अभ्यर्थी के पक्ष में उसका कोई समर्थक यदि पेम्प्लेट, बैनर व पोस्टर इत्यादि प्रकाशित कराना चाहता है तो भी अभ्यर्थी की लिखित में सहमति अनिवार्यत: ली जाए। अगर ऐसा नहीं किया तो संबंधित प्रिंटिंग प्रेस संचालक जवाबदेह होंगे और उनके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जायेगी।

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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