प्रभुराम के जूते चोरी, नंगे पैर जाना पड़ा मंत्री जी को

Atul Saxena
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Gwalior Minister’s shoes stolen : ग्वालियर में बीती रात उस समय अजीब सी स्थिति पैदा हो गई और हडकंप मच गया जब कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के जूते चोरी हो गए, घटना तब हुई जब मंत्री जी शुक्रवार को ग्वालियर में स्वर्गीय माधव राव सिंधिया की जयंती पर आयोजित भजन संध्या कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।

माधव राव सिंधिया के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल हुए प्रभुराम चौधरी 

पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया की 78वीं जन्म जयंती के मौके पर कल शुक्रवार को सिंधिया राजवंश की छत्री कटोराताल पर भजन संध्या आयोजित की गई, अपने पिता कको श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ग्वालियर के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी सहित कई अन्य मंत्री शामिल थे।

 वीवीआईपी सुरक्षा के बीच चोरी हुए मंत्री जी के जूते 

वीवीआईपी की मौजूदगी के चलते ग्वालियर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था छत्री परिसर में थी, इसके अलावा सभी मंत्रियों का सुरक्षा स्टाफ भी वहां मौजूद था। इस सबके बावजूद उस समय वहां हडकंप मच गया जब स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी के जूते चोरी हो गए, जब कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद मंत्री जी जूते पहनने आये तो उन्हें वे गायब मिले।

स्टाफ के साथ केवल मोज़े पहने अपने जूते तलाशते रहे मंत्री जी  

मंत्री जी के जूते चोरी होने के बाद उनका स्टाफ जूते ढूंढने लग गया, करीब आधा सैकड़ा पुलिस कर्मी और कार्यकर्ता मंत्री जी के जूतों को खोजने में जुट गए, मंत्री जी खुद नंगे पैर इधर उधर अपने जूते तलाशने लगे, लेकिन जब काफी देर तक जूतों का कोई सुराग नहीं मिला तो मंत्री जी हताश हो गए और नंगे पैर ही कार की तरफ जाने लगे, तभी किसी कार्यकर्ता ने एक जोड़ी दूसरे जूते लाकर दिए जो मंत्री जी ने पहने फिर रवाना हुए।

सोशल मीडिया पर हो रहे मंत्री जी के वीडियो 

किसी कार्यकर्ता ने इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो बना लिए और उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, अब लोग सोशल मीडिया पर इन वीडियो को शेयर कर रहे हैं और चटखारे ले रहे हैं।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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