Mon, Dec 22, 2025

गर्भवती महिला की मौत की जाँच के मामले में पुलिस और पीएम करने वाले डॉक्टर की भूमिका पर सवाल, HC ने जांच CBI को सौंपी

Written by:Atul Saxena
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गर्भवती महिला की मौत की जाँच के मामले में पुलिस और पीएम करने वाले डॉक्टर की भूमिका पर सवाल, HC ने जांच CBI को सौंपी

Gwalior News :  एमपी हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक गर्भवती महीले की मौत के मामले में जाँच करने वाली पुलिस की भूमिका और महिला का पीएम करने वाले डॉक्टर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कड़ी फटकार लगाई है, नाराजगी जताते हुए हाई कोर्ट ने अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है।

जानकारी के मुताबिक फरियादी ग्राम खोदू का पुरा पुलिस थाना बिजौली जिला ग्वालियर निवासी रामनिवास सिंह गुर्जर ने  अपनी बेटी की हत्या का आरोप उसके ससुरालियों पर हुए एक याचिका एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से हाई कोर्ट में प्रस्तुत की।

और दहेज़ के नाम पर कार और 5 लाख रुपये की मांग 

याचिका में बताया गया कि फरियादी रामनिवास ने अपनी बेटी नीतू की शादी ग्राम दयेली पुलिस थाना हस्तिनापुर जिला ग्वालियर निवासी प्राण सिंह के पुत्र ध्रुव सिंह के साथ 31 मई 2022 को पूरे  रीति रिवाज से की थी, ससुराल जनों की मांग के अनुसार उसने भरपूर दान दहेज दिया किंतु शादी के बाद उसके ससुराल वाले उसकी बेटी नीतू को पांच लाख रुपये और एक कार के लिए परेशान और प्रताड़ित करने लगे।

31 मई को शादी, 10 अक्टूबर को संदिग्ध मौत 

रामनिवास ने अपने दामाद और बेटी के ससुराल वालों को बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने और अंततः 10 अक्टूबर 2022 को उसकी बेटी नीतू की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई, खास बात ये है कि जब मौत हुई तो नव विवाहिता पांच महीने की गर्भवती थी। मामले को दबाने के लिए ससुरालजनों ने पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम से मिलकर मृत्यु का कारण सांप का डसना बता दिया, जबकि रामनिवास का आरोप है कि उसकी बेटी की दहेज़ के लिए हत्या की गई है,  इस पर से पुलिस ने दहेज हत्या का मामला दर्ज न करते हुए केवल दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया।

पिता ने ग्वालियर हाई कोर्ट में लगाई याचिका 

एडवोकेट भदौरिया ने बताया कि मामला जब न्यायालय के सामने गया तो हाई कोर्ट द्वारा उक्त मामले में विवेचना से जुड़े सभी दस्तावेज, एफएसएल तथा फॉरेंसिक रिपोर्ट न्यायालय में तलब की तथा मृतका का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को भी न्यायालय ने तलब किया, हाई कोर्ट द्वारा उक्त मामले में हैरानी जताते हुए कहा गया कि इस मामले में मृतका घटना दिनांक को करीब 19 सप्ताह की गर्भवती थी बावजूद इसके इसका उल्लेख पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं किया गया उल्टा मृतका का यूट्रस हेल्दी बताया गया, यानि  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिना जांच किए हुए ही डॉक्टरों ने इस आशय की राय दे दी कि मृतका को सांप ने डसा है, जबकि डसने वाले स्थल की स्किन को निकालकर एफएसएल जांच के लिए नहीं भेजा गया।

हाई कोर्ट सख्त , कहा – लापरवाही माफी योग्य नहीं  

पुलिस और पोस्ट मार्टम करने वाले डॉक्टर की लापरवाही पर हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए फटकार लगाई, हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में बरती गई लापरवाही किसी भी तरह से माफी योग्य नहीं है, इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।

हाई कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपी 

हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानीय पुलिस के आचरण को देखते हुए उससे निष्पक्ष विवेचना की उम्मीद नहीं की जा सकती है इसलिए मामले की विवेचना केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई (CBI) से कराया जाना उचित है, सीबीआई को आदेशित किया जाता है कि तुरंत ही इस केस की विवेचना प्रारंभ करें साथ ही स्थानीय पुलिस को आदेशित किया जाता है कि प्रकरण से संबंधित समस्त दस्तावेज सीबीआई को सुपुर्द करें सीबीआई इस मामले में विधि अनुसार विवेचना करते हुए कार्रवाई करें।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट