हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष : “कोरोना संकट में पत्रकारिता की विश्वसनीयता बढ़ाने पर जोर”

ग्वालियर।अतुल सक्सेना | हिंदी पत्रकारिता दिवस (Hindi Journalism Day) के मौके पर ग्वालियर (Gwalior) में ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान ने एक वेबनार का आयोजन किया। वरिष्ठ और युवा पत्रकारों के मंथन में एक बात सामने निकल कर आई कि कोरोना काल के बाद पत्रकारिता (Journalism) को और विश्वसनीय बनाना होगा । देश के वरिष्ठ पत्रकारों ने स्वीकार किया कि कोरोना संकट से पत्रकारिता अछूती नहीं है लेकिन इस संकट में अपने अतिरिक्त पराक्रम और निष्ठा के साथ पत्रकारों को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा।

कोरोना काल मे हिंदी पत्रकारिता की चुनौती और संभावना विषय पर ग्रामीण पत्रकारिता संस्थान ग्वालियर द्वारा आयोजित बेवनार में हिंदी पत्रकारिता के लिए ग्रामीण भारत का प्रतिबिंब बनने पर भी समवेत सहमति नजर आई। बेवनार में राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादक राजेश बादल, मुंबई। से प्रख्यात कथाकार हरीश पाठक , एबीपी न्यूज के मप्र ब्यूरो ब्रजेश राजपूत, अहमदाबाद से प्रीति जैन अज्ञात के अलावा स्तंभकार प्रमोद भार्गव,अशोक कोचेटा, अनिल गौर ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए। बेवनार में देश भर के तमाम पत्रकार शामिल हुए। विषय प्रवर्तन करते हुए संस्थान के सरंक्षक देव श्रीमाली ने कोरोना संकट के दौर में पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर आए संकट को रेखांकित किया उन्होंने खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने हिंदी पत्रकारिता दिवस के सामयिक अवसर पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को रखते हुए बदलते दौर की कठिन चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर मूल पत्रकारिता को गंभीर ख़तरा खड़ा है। समाज में भी पत्रकारिता के प्रति नजरिया बदला है लोग जनपक्ष की जगह पक्षधरता को पसन्द कर रहे है। श्री बादल ने कहा कि कोरोना ने नई तकनीकी पसन्द पत्रकारिता को भी एक नया आयाम दिया है। सभी मैदानी पत्रकारों को इसके लिए अभ्यस्त होना पड़ेगा।

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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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