सांसद केपी यादव के आरोपों का सिंधिया ने दिया जवाब, कह दी बड़ी बात

Atul Saxena
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ग्वालियर, डेस्क रिपोर्ट। गुना शिवपुरी सांसद डॉ केपी यादव के पत्र पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने चुप्पी तोड़ते हुए जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि मेरे जानकारी में भी पत्र वाली बात आई है। केपी भी मेरे परिवार के सदस्य हैं। एक दूसरे से मिलान की जो कमियां है वो दूर की जाएगी।

ग्वालियर के दौरे पर आये केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से बात करते हुए गुना शिवपुरी सांसद केपी यादव (MP KP Yadav) के पत्र पर जवाब दिया।  उन्होंने कहा कि मुझे भी इस बात की कुछ सूचना मिली है। केपी भी मेरे परिवार के सदस्य हैं। भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता चाहे वो प्रभारी मंत्री हो, बूथ विस्तारक हो, बूथ का प्रभारी हो, सब हमारे हैं।

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सिंधिया ने कहा कि सबको मिलकर काम करना चाहिए। एक दूसरे के साथ मिलन जो कमी भी है वो पूरी हो जनि चाहिए। हम लोगों को आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के नेतृत्व में जो जिम्मेदारियां दी गई है उनका निर्वहन हम लोगों को साथ में मिलकर करना चाहिए।

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गौरतलब है कि गुना शिवपुरी सांसद केपी यादव (कृष्णपाल सिंह यादव) ने कुछ दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक शिकायती पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों की शिकायत की थी।  सांसद केपी यादव ने लिखा कि सिंधिया समर्थक मेरी उपेक्षा करते हैं, मुझे कार्यक्रमों में नहीं बुलाते, प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखते, शिला पट्टिकाओं पर मेरा नाम नहीं दिया जाता।

सांसद केपी यादव ने पत्र में शिकायत करते हुए लिखा कि सिंधिया समर्थक मंत्री पार्टी के सिद्धांतों को भी नहीं मानते। उन्होंने सिंधिया की भी शिकायत करते हुए लिखा कि केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी उनकी अध्यक्षता में होने वाली बैठकों का बहिष्कार करते हैं, इन हालातों के कारण उनके संसदीय क्षेत्र के तीनों जिलों गुना अशोकनगर और शिवपुरी के अधिकारी भी उनकी नहीं सुनते।  इन सब बातों से पार्टी के कार्यकर्ता परेशान हैं और निराश भी हैं और पार्टी की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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