आबकारी महकमे की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को चूना लगा रही तीन शराब दुकानें सील

Published on -

ग्वालियर।  शहर की तीन शराब दुकानों को लेकर सहायक आबकारी आयुक्त सवालों के कटघरे में खड़े  हो गए हैं ।दो देशी और एक विदेशी मदिरा की दुकानों पर करीब सवा दो करोड़ की लाइसेंस फीस बकाया होने के बावजूद भी यह दुकानें विभाग की छत्रछाया में बेरोकटोक चलती रही। इसकी शिकायत पिछले दिनों आबकारी विभाग और कलेक्टर को की गई थी कलेक्टर ने इस मामले की जांच कराई है और अपना प्रतिवेदन वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया है। और दुकानों को सील कर दिया है।

 दरअसल पुरानी छावनी की अंग्रेजी और देशी शराब की दुकान को 4 फरवरी की रात अचानक विभाग ने माल भरकर बंद कर दिया था। इन दुकानों पर एक करोड़ सात लाख रुपये की राशि बकाया थी। लेकिन इसके उलट आमखो की देशी शराब दुकान निर्बाध रूप से चलती रही। इस दुकान पर भी लगभग इतनी ही राशि लाइसेंस फीस की बकाया थी। लाइसेंस फीस बकाया होने के बावजूद विभाग की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई विवादों में आ रही थी । कलेक्टर ने इसकी जांच विभाग के ही डिप्टी कमिश्नर से कराई थी। पहली जांच में ही सहायक आयुक्त संदीप शर्मा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा है। पता चला है कि डिप्टी कमिश्नर ने भी असिस्टेंट कमिश्नर के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही पाया है और अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। पता चला है कि 15 मार्च तक की स्थिति में दुकानों पर करीब सवा दो करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस बकाया है। जबकि शासन को तीनों दुकानों के बंद होने से रोजाना लगभग ढाई लाख रुपए के राजस्व नुकसान अलग हो रहा है। काशी इंफ्राटेक नामक शराब दुकान जो आमखो बस स्टैंड के नजदीक है वह मयंक शिवहरे के नाम पर है जबकि पुरानी छावनी की दोनों दुकाने  शैंकी गुप्ता के नाम से दर्ज थी। प्रमुख सचिव को इस मामले में निर्णय लेना है कि वह शासन को हुए नुकसान की भरपाई के लिए क्या कदम उठाते हैं और इसके लिए अपने ही विभाग के दोषी अफसरों पर क्या कार्रवाई करते हैं।


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News