मंदिर के पुजारी की बेरहमी से हत्या, हाथ पैर बांधे, गला दबाकर मारा, मुंह में ठूंसी टॉर्च

Atul Saxena
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Gwalior Crime News : ग्वालियर में एक मंदिर के पुजारी की अज्ञात हमलावर ने हत्या कर दी, हत्या बहुत ही बेरहमी से की गई है, पुजारी दर असल साधू थे वे एक आश्रम में रहते थे और वहीं पास में बने मंदिर में पूजा करते थे। हत्या करने वाले ने पुजारी के  हाथ-पैर बांधे, फिर गला दबाकर मार डाला। पुलिस को जब शव मिला तो वो नग्न अवस्था में था , मृतक पुजारी के मुंह में टार्च भी ठुंसी थी। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पीएम के लिए भेज दिया है, आरोपी अभी फरार हैं।

ग्वालियर जिले के घाटीगांव थाना क्षेत्र में बसोटा तिराहे के पास एक आश्रम बना हुआ है इसकी देखरेख बाबा गरीबदास कर रहे थे। वह आश्रम में ही एक कुटिया में रहते थे, यहीं मंदिर में पूजा अर्चना करते थे,  इसी कुटिया में रात को सोते थे। वे बीती रात खाना खाकर सो गए, इसी दौरान यहां उनकी हत्या कर दी गई।

घटना का खुलासा तब हुआ जब आसपास के गाँव के कुछ लोग सुबह आश्रम के मंदिर में पहुंचे, कुटिया के पाश लाश पड़ी देखकर वे चौंक गए , लाश नग्न अवस्था में थे, हाथ और पैर बंधे हुए थे। हमलावर ने हत्या के बाद बाबा गरीबदास की लंगोट खोलकर उससे पैर बांध दिए और शरीर पर ओढ़ने वाले अंगवस्त्र से हाथ बांध दिए। उनके मुंह में टॉर्च ठुंसी हुई थी।

सूचना पर पहुंची पुलिस ने पड़ताल की , शुरूआती जाँच में सामने आया है कि आरोपी ने मृतक की गले में साफी से फंदा बनाकर गला घोंटा है । फोरेंसिक एक्सपर्ट डा.अखिलेश भार्गव के साथ घाटीगांव थाने की फोर्स पहुंची। पड़ताल में सामने आया कि पुजारी ने इनसे संघर्ष भी किया है। पास में रखी अलमारी बंद थी, लेकिन ताला खुला था। आशंका है कि लूट के उद्देश्य से ही सोते हत्या की गई है। उधर जो टॉर्च मुंह में ठूंसी गई है, उसे पुजारी अपने साथ शौच के समय ले जाते थे, सम्भावना ये भी जताई जा रही है कि इसी दौरान हत्या की गई है।

पुलिस ने पंचनामा बनाकर मर्ग कायम करने के बाद शव को पीएम के लिए भेज दिया है अभी हत्यारों का सुराग नहीं लग सका है, लेकिन पुलिस को पुजारी की हत्या के पीछे वजह लूट या फिर पुराना विवाद होने की सम्भावना है, उधर जिस जमीन पर आश्रम बना है, वह जमीन भी बेशकीमती है। पुलिस सभी एंगल पर पड़ताल कर रही है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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