ग्वालियर।अतुल सक्सेना। शिवराज सरकार पर खजाना खाली छोड़ने और केंद्र सरकार पर प्रदेश की राशि काटे जाने के दावे करने वाली कमलनाथ सरकार ने अपना खजाना भरने की नई तरकीब लगाई है। सरकार अब सड़क बनाने के लिए जनता से पैसा वसूलेगी। इसे बेटरमेंट टैक्स नाम दिया गया है। इंदौर में इसपर काम शुरू हो गया है जबकि राजधानी भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में इसपर शीघ्र काम शुरू किया जायेगा।
दिल्ली सरकार की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश सरकार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में नई सड़कें बनाने और पुरानी सड़कों के विस्तार के लिए जनता। से बेटरमेंट टैक्स के नाम पर पैसा वसूलेगी। इंदौर में प्लान तैयार किया जा चुका है जिसे नगरीय आवास और विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे मंजूरी दे चुके हैं। इसे लेकर बीते मंगलवार को भोपाल में एक बैठक आयोजित की गई। दिन में दो तीन बैठकों में अफसरों ने बेटरमेंट टैक्स को लेकर मंथन किया। बैठक में तय हुआ कि जिन क्षेत्रों में सड़क बनेंगी उसके आसपास के 500 मीटर दायरे में रहने वाले लोगों और दुकानों से ये टैक्स लिया जायेगा। बैठक में ग्वालियर नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन, अपर आयुक्त वित्त देवेंद्र पालिया सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा और सहायक सिटी प्लानर प्रदीप जादौन शामिल हुए। आयुक्त संदीप माकिन का कहना है कि बड़े शहरों में सड़कों को बनाने का खर्च बेटरमेंट टैक्स के रूप में वसूला जायेगा। इसके लिए ग्वालियर में जल्दी ही सर्वे कराया जायेगा इसके बाद विभागीय अफसरों और शासन से स्वीक्रति लेकर फैसला लेेंगे। समझा जा रहा है कि नगर निगम संपत्तिकर के साथ बेटरमेंट टैक्स वसूल सकता है। इसके अलावा मकान की परमिशन, प्रोजेक्ट के पूरा होने पर कंप्लीशन सर्टिफिकेट देते समय भी ये टैक्स लिया जा सकता है।
इंदौर में वसूली के इस प्लान को मिली मंजूरी
इंदौर ने बेटरमेंट टैक्स की दरें तय कर ली हैं। यहाँ तीन अलग अलग प्लान। तैयार किए गए हैं। सड़क के फ्रंट एरिया से 200 मीटर अंतर तक 5 प्रतिशत राशि ली जायेगी। 200 से 300 मीटर तक की दूरी के लिए 3 प्रतिशत और फिर 500 मीटर के लिए 2 प्रतिशत राशि वसूली जायेगी। माना जा रहा है कि ग्वालियर में भी इंदौर की के मॉडल पर प्लानिंग की जायेगी लेकिन सर्वे के हिसाब से राशि तय कि जायेगी। ये राशि जमीन के कलेक्टर रेट के अनुसार वसूली जायेगी। बहरहाल अब देखना ये होगा कि पिछले दिनों सफाई के नाम पर नया टैक्स वसूली का फैसला करने वाली ग्वालियर नगर निगम का ये नया फैसला जनता कैसे लेती है।