छतरपुर की महिलाओं ने बंजर भूमि को बनाया हरा-भरा, PM मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में की तारीफ

MP: छतरपुर की हरि बगिया स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बंजर भूमि पर मेहनत कर उसे हरा-भरा बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस मेहनत और पर्यावरण संरक्षण के कार्य की सराहना की।

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MP: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की खोंप गांव की महिलाओं ने एक अनोखा उदाहरण हम सभी के सामने पेश किया है, जहां उन्होंने बंजर जमीन को हरा-भरा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

हरि बगिया स्व सहायता समूह की इन महिलाओं ने सामूहिक प्रयासों के जरिए न केवल अपने गांव का पर्यावरण सुधारने का कार्य किया बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी प्रशंसा प्राप्त की।

PM मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में की तारीफ

आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इन सभी महिलाओं की मेहनत और प्रतिबद्धता की तारीफ की है। जिसमें उनके आत्मविश्वास में और वृद्धि हुई है। साथ ही साथ अन्य लोगों को भी ऐसे अच्छे काम करने की प्रेरणा मिली है।

इन महिलाओं का यह प्रेरणादायक काम उन सभी के लिए एक अच्छा उदाहरण बनकर पेश हुआ है, जो यह मानते हैं कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सशक्तिकरण एक साथ चल सकते हैं। चलिए आगे समझते हैं कि कैसे इन महिलाओं ने मिलकर बंजर जमीन पर ‘फूड फॉरेस्ट’ का निर्माण किया।

कैसे बंजर जमीन पर किया फूड फॉरेस्ट का निर्माण

इन महिलाओं ने पिछले दो वर्ष और 6 महीने में बंजर भूमि पर करीबन 2200 फलदार और छायादार पेड़ लगाए हैं, जिससे एक फूड फॉरेस्ट का निर्माण भी हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रशंसा सुनने के बाद हरि बगिया स्व सहायता समूह की महिलाओं में एक अलग ही खुशी की लहर दौड़ गई।

महिलाओं ने अपने एकजुट प्रयासों से इस बंजर जमीन को हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया और उन्होंने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। महिलाओं की मेहनत और लगन ने उन्हें न केवल प्रधानमंत्री से सराहना दिलाई बल्कि यह भी दिखाया कि महिलाएं किसी भी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।

समूह की सदस्य पार्वती रजत ने कही ये बात

हरि बगिया स्व सहायता समूह की सदस्य पार्वती रजत ने बताया, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमारे इस अच्छे काम की प्रशंसा सुनकर हमें बहुत ज्यादा खुशी हुई है। उन्होंने आगे बताया कि यह जमीन बिल्कुल बंजर थी, इस जमीन पर चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ कंकड़ और पत्थर ही थे। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने कंकड़ और पत्थर वाली जमीन को, मिट्टी वाली जमीन में बदला जिससे कि उन्हें पेड़ पौधे लगाने में आसानी हो और पेड़ पौधे स्वस्थ तरीके से लगाएं जा सके। उन्होंने बताया कि हमने कई प्रकार के पौधे लगाए हैं जिनमें आम, अमरूद, आंवला, कटहल, करौंदा आदि शामिल है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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