मुरैना, नितेंद्र शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ सफाई और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर एक तरफ जहां जोर दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मुरैना जिले में कछुआ चाल से रेंगती विकास योजनाएं ना सिर्फ प्रधानमंत्री की मंशा को पलीता अलग रही हैं वहीँ जनता के लिए भी परेशानी का सबब बन रही हैं।
चम्बल संभाग के संभागीय मुख्यालय मुरैना शहर में जहाँ नजर डालेंगे वहां सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे, गंदगी के ढेर, अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था ही दिखाई देगी। शहर के विकास के लिए पांच साल पहले शुरू की गई सीवरेज योजना आज भी कछुआ चाल से रेंग रही है , सीवर लाइन डालने के लिए जगह जगह खोदे गए गड्ढे वाहन चालकों के लिए समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
बात सिर्फ सीवर लाइन की ही नहीं है जलभराव भी मुरैना की एक बड़ी समस्या है, बारिश के दिनों में सड़कें तालाब बन जाती हैं। नगर पालिका से नगर निगम बन जाने के बावजूद मुरैना में विकास का पहिया वहीँ के वहीँ थमा हुआ है और विकास के नाम पर शहर की जो शक्ल बनाई गई है उसने लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
मुरैना में एक नई चीज और देखने को मिली वो है स्ट्रीट लाइट, चौंकिए नहीं यहाँ कोई अलग तरह की स्ट्रीट लाइट नहीं लगी बल्कि यहाँ जो स्ट्रीट लाइट लगीं है वो खंबों पर नहीं लोगों की बालकनी में लगी है। मुरैना में ऐसे दृश्य कई क्षेत्रों में दिखाई दे जायेंगे।
इन सब बातों पर जब नगर निगम कमिश्नर अमरसत्य गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सीवरेज योजना पर काम चल रहा है जल्दी ही पूरा हो जायेगा और सड़कें सुधर जाएँगी, जलभराव की निकासी के लिए कमिश्नर साहब ने नाला बनाने की योजना के टेंडर की बात बताई, लेकिन जब उनसे स्ट्रीट लाइट और बाकी दूसरी अव्यवस्थाओं पर सवाल किये गए तो उन्होंने कहा कि अब आपने बताया है तो जल्दी ही इस समस्या का भी दिखवाएंगे। यानि शहर की समस्या का नगर निगम के मुखिया को ही पता नहीं है।
बहरहाल अब देखना ये होगा कि शहर की अव्यवस्थों से अनजान नगर निगम कमिश्नर मीडिया द्वारा शहर के लोगों की समस्या बताये जाने पर कितनी जल्दी और क्या कार्रवाई करते हैं?
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....