रिटायर्ड ऑडनेंस फैक्ट्री कर्मचारी से ठगी, ATM कार्ड क्लोन कर निकले 1 लाख

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। ऑडनेंस फैक्ट्री के रिटायर्ड दरबान के साथ ठगी का मामला सामने आया है। रिटायर्ड कर्मी प्रकाश चंद्र गौर (65) के बैंक खाते से दिल्ली के ठग ने 1 लाख 236 रुपए निकाल लिए। तीन दिन में 10 बार, एटीएम (ATM ) से 10-10 हजार करके रुपए निकाले गए।

ट्रांजेक्शन के मैसेज मोबाइल पर आए जब खाता धारक ने ध्यान दिया तब तक दस बार में एक लाख से ज्यादा रुपए निकल चुके थे। खाते में ठग ने 32 हजार रुपए छोड़ दिए। इस ठगी की लिखित शिकायत बैंक और सिटी थाने में की गई है। पुरानी इटारसी की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले प्रकाशचंद्र गौर का आयुधनगर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में बचत खाता है। इसी खाते से 10 बार में  1 लाख 236 रुपए निकाले गए।

गौर ने बताया उन्होंने बैंक अकाउंट अथवा एटीएम (ATM ) कार्ड के बारे में कोई जानकारी किसी से शेयर नहीं की थी। अलबत्ता 5 अक्टूबर की शाम 6:26 बजे उन्होंने पुरानी इटारसी में एसबीआई एटीएम (ATM ) से 10 हजार रुपए निकाले थे। इसी दिन उन्होंने सीपीई कैंटीन से 2227 रुपए का सामान खरीदकर डेबिट कार्ड से पेमेंट किया था। इसके बाद उन्होंने कोई ट्रांजेक्शन नहीं किया।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ऑडनेंस फैक्ट्री के ब्रांच मैनेजर पीयूष पांडे ने बताया आशंका है कि प्रकाशचंद्र का एटीएम (ATM ) कार्ड क्लोन(atm card clone) किया गया या हैक हो गया है। कार्ड ब्लॉक किया गया है। 24 घंटे में बैंक एटीएम(ATM) से 40 हजार रुपए निकालने की लिमिट है। इसलिए तीन दिन में एक लाख रुपए इनके अकाउंट से निकाल लिए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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