Suicide : व्यापारी ने की आत्महत्या, कल दोपहर से था लापता, मामले की जांच कर रही पुलिस

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। नगर के युवा व्यवसायी अंकुर अग्रवाल ने सल्फास खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त (Suicide) कर ली। वहीं अंकुर अग्रवाल ने ऐसा क्यों किया इसका कारण पता नही चल पाया है। बता दें कि कल दोपहर घर से बिना बताए निकले अंकुर का शव (Dead Body) रात को रेल्वे स्टेशन कर पीछे बने रेल्वे इंस्टीट्यूट ग्राउंड में मिला। साथ ही उनकी स्कूटी पर एक पानी बोतल के साथ ही सल्फास का पाउच भी मिला है। मृतक का मोबाईल पास में ही सतपुड़ा आईटीआई के केम्पस में मिला है।

बता दें कि इटारसी निवासी एफएमसीजी (फास्ट मूवर्स कंज्यूमर गुड्स) उत्पादों के डिस्ट्रिब्यूटर ने जहर खाकर की आत्महत्या (Suicide) कर ली। आत्महत्या (Suicide) का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस के मुताबिक न्याय कॉलोनी के पास कावेरी स्टेट में रहने वाले अंकुर अग्रवाल (32) ने 12 बंगला रेलवे इंस्टीट्यूट ग्राउंड पर सल्फास खाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली। घटनास्थल पर सल्फास का पाउच और पानी की बोतल मिली है। अंकुर का मोबाइल भी निजी आईटीआई के पास मिला। कुछ ही दूरी पर उसकी स्कूटी लावारिस हालत में पड़ी थी। पुलिस के मुताबिक अंकुर अग्रवाल की पिछले साल ही शादी हुई थी। मृतक के घर में बुजुर्ग मां और पत्नी है।

मंगलवार दोपहर अंकुर घर से बिना बताए कहीं निकल गया था। शाम तक जब वो घर नहीं लौटा तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। अंकुर का मोबाइल फोन सतपुड़ा आईटीआई के पास मिला, जिसे सूचनाकर्ता ने चार्ज कर परिजनों का कॉल आने पर मोबाइल मिलने की बात बताई। कुछ दूरी पर मृतक का दोपहिया वाहन मिला। जब खोजबीन की गई तो 12 बंगला रेलवे इंस्टीट्यूट के सामने मैदान में अंकुर बेसुध मिला। जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

3 साल पहले अंकुर के पिता ने लॉज में लगाई थी फांसी

अंकुर के पिता रेवाशंकर अग्रवाल (64) मूलत: नसरुल्लागंज के अनाज व्यापारी थे। करीब तीन साल पहले रेवाशंकर ने जानकी लॉज की तीसरी मंजिल के कमरे में पंखे से लटकर जान दे दी थी । सुसाइड नोट में रेवाशंकर ने लिखा था कि अनाज व्यापार में नुकसान और कर्ज के कारण वो आत्महत्या कर रहे है। रेवाशंकर अनाज व्यापार के सिलसिले में इटारसी मंडी आते रहते थे। कुछ दिनों से व्यापार में मंदी चलने से परेशान थे। इस घटना के बाद उनके पुत्र अंकुर इटारसी आकर रहने लगे थे।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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