होशंगाबाद : कमिश्नर कार्यालय में मिले शव को लेकर खुलासा, हुई थी दीपसिंह की हत्या

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद,राहुल अग्रवाल। निर्माणाधीन कमिश्नर कार्यालय में तीन दिन पहले मिली डंपर ड्राइवर दीप सिंह भल्लावी (47) की लाश के मामले में नया मोड़ आ गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि दीप सिंह की हत्या हुई थी। उसके सिर, छाती, पैर, जबड़े में गंभीर चोटें हैं। हालांकि पुलिस की जांच अभी जारी है।

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दीप सिंह का पोस्टमार्टम भोपाल में मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट में हुआ था। यहां पीएम करने वाली डॉ. गीता गुप्ता ने बताया पूरी रिपोर्ट पुलिस को दी है। रिपोर्ट के बारे में वे कुछ नहीं बता सकतीं लेकिन यह जरूर है दीप सिंह के शरीर में चोट के निशान पाए गए हैं। सिर, छाती, जबड़े और पैर में चोटें थी। आगे की जांच पुलिस करेगी।

नए कमिश्नर कार्यालय में मिट्‌टी के साथ मिला था शव

19 अक्टूबर को निर्माणाधीन कमिश्नर कार्यालय की रोड निर्माण के लिए डंपर से लाई गई मिट्टी के साथ डंपर ड्राइवर दीप सिंह भल्लावी की लाश गिरी थी। मिट्टी का उत्खनन अवैध तरीके से किया जा रहा था। दीपसिंह 11 अक्टूबर से लापता था। उसके पास से मिले आधार कार्ड से उसकी पहचान हुई थी। दीपसिंह मूलत: हंडिया का रहने वाला था। ग्वालटाेली में किराए से रहता था। इधर, देहात पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

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एसी संतोष गौर ने बताया कि शव क्षतिग्रस्त होने के कारण पीएम मेडिको लीगल में करवाया गया है। वहां पर शव का परीक्षण और एनालिसिस करके ही रिपोर्ट मिलेगी जिससे जांच आसान होगी।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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