लापरवाह डिप्टी रेंजर को नोटिस, DFO ने मांगा स्पष्टीकरण, ये है पूरा मामला

Atul Saxena
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नर्मदापुरम, डेस्क रिपोर्ट। वन संपदा की रक्षा करने वाले वन विभाग (Forest Department) के अधिकारी ही अपराधी को बचाने लग जाए तो फिर समझा जा सकता है कि ऐसे सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की निष्ठा पर सवाल उठना लाजमी है। ताजा मामला नर्मदापुरम (होशंगाबाद) का है, जहाँ पदस्थ डिप्टी रेंजर पर सागौन तस्कर को बचाने के आरोप लगे हैं। DFO ने तल्ख लहजे में विभागीय नोटिस जारी कर डिप्टी रेंजेर से 7 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।

मामला नर्मदापुरम के वन वृत्त का है। सागौन तस्कर को बचाने का मामला सामने आने के बाद अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक नर्मदापुरम एल कृष्ण मूर्ति ने कड़े एक्शन के निर्देश दिए। निर्देश मिलते ही डीएफओ (DFO) डीके वासनिक ने उप वन क्षेत्रपाल यानि डिप्टी रेंजर एवं प्रभारी वन परिक्षेत्राधिकारी नर्मदापुरम हरगोविंद मिश्रा को विभागीय पत्र लिखकर 24 अप्रैल 2022 को दर्ज एक वन अपराध प्रकरण में स्पष्टीकरण मांगा है। आपको बता दें कि डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा अधिकारियों के इतने कृपा पात्र हैं कि उनके पास एक से अधिक रेंज का प्रभार है।

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सागौन तस्कर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के चलते विभाग में खलबली मच गई।  विभागीय पत्र में DFO डीके वासनिक ने लिखा कि फारेस्ट गार्ड नारायण वर्मा ने वन अपराध दर्ज कर आपके कार्यालय को समयावधि में सूचना दी। इस अपराध में बड़ी मात्रा में सागौन की लकड़ी जब्त की गई। लेकिन आपके द्वारा इसकी सूचना अभी तक वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई।

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DFO वासनिक ने तल्ख़ लहजे में लिखा कि प्रकरण की जाँच में पाया गया कि जब वली मोहम्मद नाम के व्यापारी की आरा मशीन के पास से सागौन की लकड़ी मिली और उन्होंने सूचना दी तो सूचना देने वाले से आरोपी के बारे में पता लगाने का प्रयास नहीं किया गया और नही प्रकरण दर्ज होने के बाद ठोस सुबूत जुटाए गए।

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पत्र में कहा गया की आपके द्वारा ना तो आरोपी को पकड़ने का प्रयास किया गया और ना ही कोई थोड़ कार्रवाई, जो ये साबित करता है कि आपके द्वारा अपराधी को बचाने का असफल प्रयास किया गया जो मप्र सिविल सेवा आचरण अधिनियम का उल्लंघन है।आप इस मामले में अपना स्पष्टीकरण 7 दिनों में इस कार्यालय को भेजें।

बहरहाल वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिली भगत से वन संपदा की चोरी अथवा तस्करी का ये एक उदाहरण मात्र है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी ने लापरवाह अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है , लेकिन यदि सरकार ने इस दिशा में यानि मिलीभगत करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो मप्र के वनों के हालात बिगड़ सकते हैं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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