यात्री प्रतीक्षालय में पंखा और लाइट नहीं होने से परेशान हो रहे यात्री

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। जहां एक ओर मध्यप्रदेश में उपचुनाव आने वाले है, जिसके लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी अपना प्रचार प्रसार करने में लगी हई है। प्रदेश में सत्ता में आने के लिए पार्टियों द्वारा विकास को लेकर कई वादे किए जा रहे है। वहीं दूसरी ओर होशंगाबाद की इटारसी तहसील का बस स्टेंड पर अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। शहर के बस स्टेंड प चारो तरफ की बसे आती है चाहे वो भोपाल हो इंदौर नागपुर कही की भी बस आपको इटारसी के बस स्टैंड पे मिल जायेंगी। दिन भर बसों का रेला लगा रहता है और हज़ारो यात्रिओ का आना जाना लगा रहता है।

ऐसे में यात्रियों के पास बस का इंतजार करने के लिए एक ही सहारा रहता है जो है “प्रतीक्षालय” पर इटारसी के वेटिंग रुम में ना तो लाइट है ना ही पंखा और तो और यात्रियों के बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। जहां बैठने की व्यवस्था है वहा लोगों के द्वारा पाउच-गुटखे से थूका गया है, जिसके कारण वो जगह भी बैठने योग्य नहीं है। इटारसी के बस स्टैंड में स्थित यात्री प्रतीक्षालय में यही तस्वीर देखने को मिली जिसमें गर्मी से बेहाल यात्री रुमाल से हवा करते हुए नज़र आएस वहीं ये बसस्टैंड का प्रतीक्षालय शहर के शराबियों के लिए रात को मयखाना बन जाता है। रात में तो इस प्रतीक्षालय की तस्वीर ही अलग होती है। अंधेरे का फायदा उठाके सूरा प्रेमीयो को अच्छा ठिकाना मिल जाता है। रोज रात यह शराबिओं कि महफ़िल सजती है क्योंकि पीछे देसी शराब का ठेका जो है। वहीं जब से इस प्रतीक्षालय का लोकार्पण हुआ है तब से नगर पालिका के अधिकारी यहां नहीं आए है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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