होशंगाबाद : 48 घंटे के भीतर मिली संदिग्ध अवस्था में दूसरी लाश, जांच में जुटी पुलिस

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। होशंगाबाद (hoshangabad) जिले में अपराधों के ग्राफ (Crime Graph) में लगातार इजाफा हो रहा है। बीते 48 घंटे में ये दूसरी घटना जहां संदिग्ध अवस्था में लाश (Dead Body) मिली है। एक दिन पहले होशंगाबाद (hoshangabad) के निर्माणाधीन कमिश्नर कार्यालय (Commissioner office under construction) के पास मिट्टी के ढेर में एक युवक की लाश दबी मिली थी।

दरअसल, रविवार को यहां डंपर से मिट्टी डालते समय शव दिखाई दिया था। मरने वाले की पहचान कपड़ों के आधार पर 47 वर्षीय दीप सिंह भल्लावी के रूप में हुई है। वह हरदा का रहने वाला था। दीप करीब 10 दिन से गायब था। इस घटना को हुए अभी 48 घंटे भी नही बीते की यहां होशंगाबाद की इटारसी तहसील के गांव निमसाड़िया में एक युवक की संदिग्ध अवस्था में लाश मिली है। शव करीब 2 दिन पुराना बताया जा रहा है।

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प्रथमदृष्टया हत्या होना प्रतीत हो रहा है। कपड़ो की हालत व शरीर पर दिख रहे घाव से लग रहा कि हत्या करके यहाँ झाड़ियो में शव को फेक कर आरोपी फरार हो गए है। घटना स्थल पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को विवेचना में लेने के बाद युवक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद पूरे मामले के बारे में पता लगेगा। बता दें कि मृतक की पहचान योगेश मलैया के तौर पर हुई है, जोकि 25 साल का है। मृतक युवक निमसाड़िया गांव का ही रहने वाला है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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