शहर की सड़कों पर मवेशियों के राज , दुर्घटनाओं की राह देखता प्रशासन

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी,राहुल अग्रवाल। शहर की सडकों पर आवारा मवेशियों ने कब्जा कर रखा है, शहर की ऐसी कोई सड़क नहीं जा आवारा मवेशियों को देखा नहीं जा सकता है। सडकों पर खड़े मवेशियों से शहर के नागरिक काफी परेशान है, क्योंकि इनके द्वारा सड़क पर चल रहे नागरिकों को घायल किया जा रहा है।

शहर का जिम्मेदार प्रशासन भी सड़को में से आवारा मवेशियों को हटाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन प्रशासन इस कदर निष्किय हो गया है कि इन्हें हटाने की बात पर ध्यान नहीं देता है। रोजाना मवेशी किसी न किसी को घायल कर रहे है। कई बार सामाजिक संस्थाओं के साथ शहर के गणमान्य नागरिकों ने सड़को पर आवारा मवेशियों की आवाज प्रशासन तक ज्ञापन के माध्यम से दी, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई ठोक कार्रवाई नहीं की गई।

करीब दो साल पहले नगरपालिका ने शहर और बाजार की सड़कों पर से मवेशियों को हटाने का ठेका भी दिया था,लेकिन ठेकेदार को नगरपालिका द्वारा भुगतान नहीं किया गया, जिसके कारण वह भी काम को छोड़कर चले गए। वहीं अब तक नगरपालिका कार्यालय के ठेके की राशि लेने के लिये चक्कर काट रहा है।

सोमवार को भी मवेशियों के कारण एक बड़ी घटना शहर में होते होते बची। विधायक डॉक्टर सीताशरण शर्मा के निवास के बाजू वाली गली से रात के समय दो महिला जा रही थी,जिसपर एक गाय ने हमला कर दिया। महिलाओं ने दौड़कर अपनी जान को बचाया।इसके पूर्व भी बाजार की सड़क पर एक व्यक्ति की मवेशी द्वारा हमला करने से मौत हो गई थी। इतने साले मामलों के बाद भी प्रशासन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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