थाने में आरोपी की पिटाई का मामला पहुंचा मानव अधिकार आयोग, 7 दिन में मांगा जवाब

Atul Saxena
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इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के इंदौर में मारपीट के मामले में एक युवक को 72 घन्टे थाने मे बंद कर बेरहमी से पिटाई करने के मामले में अब मानव अधिकार आयोग (Human rights commission) में शिकायत दर्ज की गई है। जिसके बाद आयोग ने पूरे मामले में इंदौर पुलिस से जवाब मांगा है। बता दें कि इस संगीन मामले के सामने आने के बाद पुलिस विभाग ने एक्शन लेते हुए आजाद नगर थाना प्रभारी मनीष डाबर (TI Manish Dabar)  को लाइन अटैच कर दिया है। उनकी जगह इंद्रेश त्रिपाठी को नया थाना प्रभारी बनाया गया है।

दरअसल पूरा मामला ये है कि मारपीट के आरोपी रामराज को हिरासत में लेकर आजाद नगर पुलिस थाने ले आई थी। उसे कोर्ट में पेश करने की बजाय तत्कालीन थाना प्रभारी मनीष डाबर ने 72 घंटे थाने में बंद रखा और उसकी बुरी पिटाई की। परिजनों का आरोप है कि पहले टीआई डाबर ने एक लाख रुपये मांगे, जब परिजनों ने पैसे नहीं दिए तो आरोपी को जमकर पीटा और पैरों के नाखून तक निकाल दिए । आरोपी की पत्नी 6 महीने के बच्चे और एक तीन साल की बच्ची के साथ थाने के बाहर बैठी रही लेकिन उसे मिलने तक नहीं दिया गया।

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घटना सामने आने के बाद इंदौर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस की छवि को धूमिल करने वाले टीआई को लाइन अटैच किया था और ये मेसेज दिया था कि पुलिस को छवि खराब करने वाले नहीं बचेंगे। अब इस मामले में मानव अधिकार आयोग (Human rights commission) ने संज्ञात लेते हुए इंदौर डीआईजी से पूरे मामले में सात दिन में जवाब मांगा है।

इधर, मानव अधिकार आयोग (Human rights commission) में शिकायत करने वाले वकील अभिजीत पांडे ने न सिर्फ युवक की गम्भीर तस्वीरें आयोग को दी है बल्कि तत्कालीन टीआई के साथ लिस्टेट बदमाश के फोटो भी मानव अधिकर आयोग को दिए गए है । जिसमें दर्जनों अपराधों से लदे बदमाश टीआई को बधाई देने के साथ जन्मदिन व अन्य आयोजन में शामिल हुए थे।

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फिलहाल, इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारी मनीष डाबर पर गाज गिरना शुरू हो गई है वही मानव अधिकार आयोग डीआईजी के जवाब के बाद कानून के रक्षक को कानूनी तरीके से ही गुनाह की सजा दिलवा सकता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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