कचरे को जमा कर लाखों की कमाई कर सकेंगे इंदौर के बच्चे, शुरू किया गया ये अभियान

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Indore News

Indore News : इंदौर शहर जहां स्वच्छता में सबसे ज्यादा सबसे अव्वल रहता है। वहीं धीरे-धीरे नए-नए नवाचार के लिए भी सबसे ज्यादा जाना जाता है। आए दिन इंदौर की जनता द्वारा इनोवेशन किए जाते हैं ताकि शहर का नाम रोशन किया जा सके। ठीक उसी तरह एक और अनूठा प्रयास पर्यावरण के संरक्षण के लिए किया जा रहा है। इस नवाचार के चलते बच्चे कचरे से कमाई कर सकते हैं।

जी हां, इंदौर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक नया अभियान शुरू किया गया है जिसके चलते कचरे से बच्चे लाखों रुपए की कमाई करने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक, इंवायरो न्यूट्रिलिटी द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण मिशन का इको ब्रिक कनेक्ट प्रोग्राम शुरू किया गया है। जिसमें कई बच्चे शामिल हो रहे हैं। करीब 200 स्कूलों के बच्चों को इस प्रोग्राम में भाग लेने का मौका दिया जा रहा है। वहीं बच्चे भी इसमें जुड़ने के लिए अपना उत्साह दिखा रहे हैं।

इस अभियान की जानकारी देते हुए अभियान की निदेशक निदेशक पारुल जैन ने बताया है कि कई विद्यालयों के बच्चे इस प्रोग्राम का हिस्सा बन रहे हैं। बच्चों की मदद से इंदौर शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में मदद की जा सकती है। खास बात ये है कि इस प्रोग्राम में इंदौर के सोशल मीडिया पार्टनर्स भी साथ दे रहे हैं। जो जो इस कार्यक्रम का हिस्सा बन रहा है उन सभी को प्रमाण पत्र से नवाजा जाएगा। इतना ही नहीं वह सभी इस प्रोग्राम के तहत कचरे से लाखों रुपए की कमाई कर सकेंगे।

जानें इको ब्रिक कनेक्ट प्रोग्राम की डिटेल्स 

अभियान के बारे में बात करें तो आपको बता दे बच्चों को ब्रिक्स बनाना है। ब्रिक प्लास्टिक बोतल के माध्यम से बनवाई जा रही है। इसमें पालीथिन, रैपर और अन्य प्लास्टिक सामानों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अहम बात ये है कि एक लीटर की बोतल में बच्चों को करीब डेढ़ किलो कचरा भरना है और दो लीटर की बोतल में तीन किलो कचरा भरना है। जो भी बच्चा सबसे ज्यादा ब्रिक्स बनाएगा उसे रिवॉर्ड दिया जाएगा। साथ ही आने वाले समय में उस बच्चे को संस्था द्वारा ब्रांड एंबेसडर बनाया जाएगा।

वहीं सम्मानित करने के लिए गिफ्ट वाउचर भी बच्चों को दिए जाएंगे। खास बात ये है कि रिवॉर्ड के लिए 10 करोड़ का बजट रखा गया है। ये बच्चों को प्लास्टिक के बदले में दिए जाएंगे। मातृभाषा डाट काम एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा इस कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है।


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Ayushi Jain

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