मंगलवार देर रात इंदौर-बैतूल नेशनल हाईवे पर स्थित धनतालाब घाट पर अचानक वाहनों की लंबी लाइन लग गई। रात करीब 1:30 बजे घाट की चढ़ाई और पतली पुलिया वाले हिस्से में लगभग 3-4 गाड़ियाँ अलग-अलग जगह खराब हो गईं। पहले कुछ मिनट तक स्थिति सामान्य दिखी, लेकिन जैसे-जैसे गाड़ियों का दबाव बढ़ता गया, रास्ता पूरी तरह ब्लॉक हो गया। संकरी सड़क और तीखे मोड़ों के कारण वाहनों को पीछे करना या साइड देना भी मुश्किल था। धीरे-धीरे जाम फैलता गया और देखते ही देखते यह लाइन करीब 10 किलोमीटर तक पहुँच गई। कई गाड़ियाँ घंटों एक ही जगह पर खड़ी रहीं और पूरा ट्रैफिक ठप हो गया।
धनतालाब घाट ऐसा इलाका है जहाँ चारों तरफ घना जंगल फैला हुआ है। यहाँ रात के समय न तो ढाबे मिलते हैं और न ही कोई होटल, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है। जाम लगने के बाद हजारों लोग अपनी-अपनी गाड़ियों में फंसे रहे। कई परिवार बच्चों और बुजुर्गों के साथ थे, जिन्हें पानी, खाना और मोबाइल नेटवर्क न मिलने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई यात्री घंटों तक गाड़ी से उतरकर सिर्फ यह देखने की कोशिश करते रहे कि जाम कब खुलेगा, लेकिन स्थिति देर रात तक जस की तस बनी रही।
बिजवाड़ पुलिस मौके पर, दो वाहन हटाए गए
जैसे ही सूचना प्रशासन तक पहुँची, बिजवाड़ पुलिस, सहायता केंद्र और हाईवे पेट्रोलिंग की टीम मौके पर पहुँची। टीम ने पहले खराब वाहनों को हटाने का प्रयास शुरू किया, ताकि रास्ता थोड़ा-थोड़ा खुल सके। अब तक दो खराब गाड़ियों को हटा दिया गया है और मैकेनिक बाकी वाहनों को ठीक करने में लगे हैं। पहाड़ी सड़क होने के कारण भारी वाहनों को किनारे करना काफी मुश्किल था, इसलिए पुलिस को कई जगह हाथ से ट्रैफिक रेगुलेट करना पड़ा। अधिकारी लगातार वाहनों को एक-एक कर धीमी रफ्तार में निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
यात्रियों ने बदला रूट
जाम की जानकारी मिलते ही कई यात्रियों ने अपने-अपने रूट बदल दिए। इंदौर की तरफ से आने वाले वाहन चालक चापड़ा, बागली, कांटाफोड़, बिजवाड़ की तरफ से घूमकर निकलने लगे। वहीं खातेगांव से आने वाले वाहन चालकों ने आष्टा, देवास होकर इंदौर पहुँचना शुरू किया। हालांकि इन रूटों से दूरी और समय दोनों बढ़ गया, लेकिन यात्री जाम में फंसने से बच गए। कई लोग सुबह तक जाम खुलने का इंतजार करने के बजाय, लंबा रास्ता चुनकर निकलना ही बेहतर समझ रहे हैं।
धनतालाब घाट पर बार-बार जाम की समस्या
धनतालाब घाट पिछले कई वर्षों से व्यवस्थाओं की कमी झेल रहा है। यह इलाका पहाड़ी है, रास्ता संकरा है और पुलिया भी काफी पुरानी है। ऊपर से बड़े और भारी वाहनों का लगातार दबाव इस समस्या को और गंभीर बना देता है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मार्ग पर आपातकालीन सेवाएँ भी बहुत सीमित हैं, न एंबुलेंस की व्यवस्था है और न ही कोई त्वरित सहायता दल स्थायी रूप से तैनात रहता है। इसलिए यहाँ जब भी कोई वाहन खराब होता है, तुरंत जाम लग जाता है और इसे खुलवाने में कई घंटे लग जाते हैं।





