Indore News : फ्लाइट से इंदौर मंगाया गया अत्यंत दुर्लभ ‘O बॉम्बे ब्लड ग्रुप’, ऐसे बचाई मरीज की जान, पढ़ें खबर

Indore News : बॉम्बे ब्लड ग्रुप एक अत्यंत दुर्लभ रक्त समूह है, भारत में केवल 180 लोग इस ब्लड ग्रुप के धारक हैं। 1952 में मुंबई में डॉ. वाईएम भेंडे ने इस असामान्य रक्त समूह की खोज की थी।

Rishabh Namdev
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Indore News : इंदौर के रॉबर्ट नर्सिंग होम में भर्ती एक महिला मरीज की जान बचाने के लिए नागपुर और वर्धा से दुर्लभ ‘ओ बॉम्बे’ ब्लड ग्रुप को फ्लाइट से इंदौर लाया गया। दरअसल इस रक्त को एक दाता ने शिरडी में दान किया था, और इसे इंदौर तक पहुंचाने का प्रबंध एक स्थानीय सामाजिक संस्था ने किया है। आपको जानकारी दे दें कि ‘ओ बॉम्बे’ ब्लड ग्रुप सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुपों में से एक है, और भारत में केवल 180 लोग इस ब्लड ग्रुप के धारक हैं। यह ब्लड ग्रुप मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मध्य पूर्व के कुछ क्षेत्रों में ही पाया जाता है।

दुनियाभर में अत्यंत दुर्लभ:

दरअसल इंदौर के रॉबर्ट नर्सिंग होम में एक महिला को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। मामले में जानकारी देते हुए इंदौर के ब्लड कॉल सेंटर के प्रभारी अशोक नायक ने कहा कि ‘बड़नगर की 26 वर्षीय पवनबाई, पत्नी राहुल, को गंभीर हालत में कुछ दिन पहले इंदौर के रॉबर्ट नर्सिंग होम में भर्ती किया गया था। शुरुआती जांच में सामने आया कि उनका रक्त समूह “ओ बॉम्बे” है, जो दुनियाभर में अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। इस अनोखे ब्लड ग्रुप के कारण उनके इलाज में काफी कठिनाइयाँ आ रही थीं।

सामने आई कई दिक्कत:

इंदौर में डोनर न मिलने पर डॉक्टर एमवायएच ब्लड बैंक पहुंचे, लेकिन वहां भी कोई सफलता नहीं मिली। फिर आगे की जांच में पता चला कि मरीज की बड़ी बहन का ब्लड ग्रुप भी “ओ बॉम्बे” है, जिससे एक यूनिट ब्लड ट्रांसफ्यूज किया गया। वहीं ब्लड कॉल सेंटर के प्रभारी अशोक नायक ने बताया कि उन्होंने पूरे भारत में संभावित रक्त दाताओं की खोज शुरू की। काफी प्रयासों के बाद शिरडी से रवींद्र रक्तदान के लिए आए। इसके अलावा, वर्धा में रोहित और नागपुर में एक अन्य दाता का रक्त एकत्र किया गया और तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए फ्लाइट से इंदौर लाया गया।

ग़लत ब्लड चढ़ा देने की वजह से बिगड़ी हालत:

वहीं इस मामले में पवनबाई के पति राहुल का कहना है कि बड़नगर सिटी हॉस्पिटल में ब्लीडिंग की समस्या के लिए इलाज के दौरान, गलत डायग्नोसिस के कारण दो यूनिट “ओ पॉजिटिव” ब्लड चढ़ा दिया गया था। इससे पवनबाई की तबीयत और बिगड़ गई और उन्हें किडनी की समस्या से गुजरना पड़ा। वहीं जानकारी देते हुए इलाज कर रहे डॉ. योगेन्द्र मालवीय का कहना है, कि “मरीज की एक सर्जरी भी हो चुकी थी। “ओ बॉम्बे” ब्लड ग्रुप वाले दाताओं को सही समय पर खोजने से मरीज की जान बचाई जा सकी। इससे पहले, 2014 और 2018 में भी इंदौर में “ओ बॉम्बे” ग्रुप का ब्लड मंगवाया गया था।”


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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