Indore News: युवाओं की टीम “दानपात्र एप” के जरिये कर रही जरुतमंदों की सेवा

Atul Saxena
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। समाज सेवा करने के लिए आर्थिक मदद जुटाने के लिए अब तक दानदाता के पास जाना पड़ता था लेकिन अब आधुनिक तकनीक के दौर में ये स्वरुप बदल गया है।  सामाजिक दूरी बनाकर भी समाज सेवा की जा सकती है। ऐसा कर दिखाया है इंदौर (Indore) के युवाओं की टीम ने, समाजसेवी युवाओं द्वारा बनाये गए  “दानपात्र एप” (Danpatra App)  के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी तरफ से कुछ भी दान  कर सकता है।  टीम के सदस्य जरुरतमंद तक पहुंचाते हैं और फिर उसकी जानकारी भी अपलोड करते हैं

इंदौर (Indore) शहर के पश्चिमी क्षेत्र के रणजीत हनुमान मंदिर रोड सेठी गेट के पास से एक ऐसी ही सेवा का संचालन किया जा रहा है जो नेकी की दीवार जैसी सेवाओ का डिजिटल स्वरूप है। हम बात कर रहे हैं दानपात्र सामाजिक संगठन  (Danpatra Social Organization) की, जो मोबाइल एप्लिकेशन और वेबसाइट के माध्यम से अब तक 50 हजार से ज्यादा दानदाताओं को जोड़ चुकी है। खास बात ये है कि संस्था के पास करीब 5 हजार वालेंटियर ऐसे है जो निःशुल्क सेवा के प्रकल्प में अपना पूरा सहयोग देते है। कोरोना काल में तो डोनर्स ने जमकर सहयोग किया और करीब 60 हजार लोगों को भोजन, राशन और अन्य जरूरी वस्तुएं मुहैया कराई गई है।

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शहर के स्लम्स एरिये में जाकर जरुतमंदों तक मदद पहुंचाने वाली दानपात्र संस्था की कार्यशैली भी जुदा है। डोनर से सोशल मीडिया के जरिये अपील की जाती है और डोनर संस्था को घर में पड़े पुराने सामान, कपड़े व अन्य बेकार पड़ी वस्तुओं को पहुंचाता है जिसे दानपात्र द्वारा दुरुस्त कर गरीबो तक पहुंचाया जाता है ताकि उनके जीवन में  खुशहाली आ सके।

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दानपात्र (Danpatra Social Organization) के संचालक यश गुप्ता ने एम.पी.ब्रेकिंग न्यूज को बताया कि दानपात्र एक ऑनलाइन एप्लिकेशन है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने उपयोग में न आने वाले सामान को घर बैठे डोनेट कर सकता है। डोनेशन रिक्वेस्ट आने के बाद डोनर के घर से अनुपयोगी सामान कलेक्ट कर उसे उपयोग लायक बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता है। इतना ही नहीं सामान दान करने के बाद उसकी जानकारी अपलोड भी की जाती है जिससे दानदाता को मालूम चल सके कि उनका दान की हुई वस्तु किस तरह जरूरतमंद तक पहुंची है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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