Make the city beggar free: शहर में भिक्षावृत्ति को कम करने के लिए इंदौर प्रशासन ने 15 दिनों का विशेष अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इस अभियान के अंतर्गत, पहले ही चरण में 3500 बच्चों का रेस्क्यू किया जा रहा है ताकि उन्हें मुख्य धारा से जोड़कर स्कूल पहुंचाया जा सके। जिला प्रशासन ने इसके लिए सामाजिक संगठनों, पुलिस और सरकारी विभागों की मदद ली है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया है कि कुछ स्कूलों को चिह्नित किया जा रहा है ताकि इनके प्रवेश के साथ अन्य व्यवस्थाएं भी की जा सकें।
दरअसल यह अभियान इंदौर में 2021 में शुरू हुआ था। लेकिन यह सफल नहीं हुआ था। इस बार, केंद्र सरकार ने देश के 10 शहरों को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए चुना गया है, और इंदौर इसमें शामिल है। जिसके चलते अब प्रशासन और सोशल सेक्टर के संगठनों के साथ मिलकर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के प्रयासों को मजबूती से आगे बढ़ाया जा रहा है।
शहर के कई चौराहों पर बुरा हाल :
जानकारी के अनुसार इंदौर में खजराना, विजय नगर, भंवरकुआं, राजबाड़ा क्षेत्र, महू नाका जैसे ऐसे कई चौराहे हैं, जहां बड़ी संख्या में कई परिवार भीख मांगने का काम करते हैं। इस पहल के तहत, शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए सबसे पहले भिक्षुक माफिया पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद, भिक्षा मांगने वाले बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें चिह्नित करने का प्रयास किया जाएगा।
शहर के कुछ चौराहों और क्षेत्रों में भिक्षावृत्ति की स्थिति सामने आई है, और इस अभियान के माध्यम से इन इलाकों को चिह्नित किया जाएगा। भिक्षावृत्ति की सबसे अधिक स्थिति वाले इलाकों के लोगों को समर्थन और मार्गदर्शन के लिए प्रशिक्षण देने का प्रयास किया जाएगा।