इंदौर के बीजेपी नेता ने हरिद्वार से भरी हुंकार, थर्राया बॉलीवुड की एकता कपूर का दरबार

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। बॉलीवुड में एकता कपूर एक बड़ा नाम है लेकिन आये दिन फिल्म डायरेक्टर और टीवी सीरियल्स की क्वीन अपने खुद के प्रोडक्शन हाउस ऑल्ट बालाजी में निर्मित की जाने वाली वेब सीरीज को लेकर विवादों में आ जाती है। कुछ माह पूर्व ही देश के सेना के अपमान के मामले उनकी एक वेब सीरीज पर देशभर में कई मुकदमे दर्ज हुए थे और एकता कपूर का ताज विवाद इंदौर से जुड़ गया है।

दरअसल, इंदौर में देवी अहिल्याबाई होलकर को मां का दर्जा दिया जाता है लेकिन उन्होंने अपनी एक वेब सीरीज में उन्हीं मां अहिल्या का अपमान किया है। ऐसे में अब उन पर इंदौर की ऐतिहासिक विरासत की दायिनी देवी अहिल्याबाई होलकर के नाम के गलत इस्तेमाल के आरोप लगाये जा रहे है, जिसके बाद एकता कपूर का मुंबई दरबार हिल गया है।

 

इंदौर के पूर्व एमआईसी मेंबर और बीजेपी के बड़े नेता सुधीर देड़गे ने एकता कपूर और उनके प्रोडक्शन हाउस पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी नेता सुधीर देड़गे धार्मिक यात्रा के चलते शहर और प्रदेश से बाहर थे और जब वो हरिद्वार पहुंचे तो उन्हें जानकारी मिली कि एकता कपूर की वेबसीरीज वर्जिन भास्कर में एक होस्टल का नाम देवी अहिल्या के नाम पर रखा गया है।

इस होस्टल में हर नापाक हरकतों को अंजाम दिया जाता है। जिसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये ही विरोध करना शुरू कर दिया। उन्होंने कुशा घाट हरिद्वार से एक वीडियो जारी कर एकता कपूर पर आरोप लगाया और निशाना साधते हुए कहा कि एकता कपूर की वेब सीरीज का धनगर समाज घोर निन्दा करता है। वही वीडियो के पहले उन्होंने साफ शब्दों में लिखा है एकता कपूर मुर्दा बाद,जय मल्हार,अहिल्या बाई जिंदाबाद।

इंदौर की मां अहिल्या के नाम का दुरुपयोग कर रही एकता कपूर का विरोध जब शुरू हुआ तो एकता कपूर हरकत में आई और मुंबई में उनके प्रोडक्शन हाउस में हड़कम्प मच गया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर अपने और अपने प्रोडक्शन हाउस के द्वारा की गलती पर उन्होंने सोशल मीडिया पर ही माफी मांग ली और वेब सीरीज में से उन दृश्यों को हटा दिया गया। बावजूद इसके इंदौर मराठी भाषी लोगों के साथ ही आम जन का नेतृत्व करने वाले बीजेपी नेता सुधीर देड़गे ने एकता कपूर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मन बना लिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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